विधानसभा के उपाध्यक्ष बद्रीधर दीवान, जो पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी से कुछ ही बरस कम उम्र के हैं, उनके साथ बिताए गए क्षणों को याद कर भावुक हो जाते हैं।
विपक्ष में रहते हुए संघर्ष, रैलियां और प्रदर्शन उनके राजनीतिक जीवन का हिस्सा था। दीवान याद करते हैं कि एक समय वे जिला भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष थे। पार्टी ने एक राजनीतिक जुलूस निकाला था, जिसमें अटल बिहारी बाजपेयी भी भाग लेने आए थे। जुलूस जब जाजोदिया धर्मशाला के पास से निकली तो वहां के एक पान दुकान पर बाजपेयी जी पान चबाते हुए खड़े हुए मिल गए। दीवान उनके पास गए और बोले- चलिए आप भी जुलूस में चलिए। अटल जी मुस्कुराते हुए बोले- नहीं…नहीं.. मैं रैली देख रहा हूं। आप लोग निकलिए। और वहीं पान दुकान पर वे खड़े लोगों से बतियाते रहे।
दीवान का कहना है कि अटल बिहारी बाजपेयी एक ऐसे नेता थे जिनका व्यवहार छोटे से छोटे कार्यकर्ताओं के साथ न केवल सहज रहता था, बल्कि उनका ख्याल भी रखते थे। दिल्ली में हुए एक अधिवेशन में भाग लेने के लिए दीवान जी दिल्ली गए। वहां बैठक और अधिवेशन खत्म होने के बाद अटल जी और पं.दीन दयाल उपाध्याय ने उन्हें अपने साथ दो दिन तक घुमाया और साथ रखा। वे दिन में कई बार पूछते रहे कि खाना, नाश्ता, रहने की व्यवस्था ठीक है या नहीं।
दीवान का कहना है कि छत्तीसगढ़ से अटल बिहारी बाजपेयी को बड़ा प्रेम था। उन्होंने इसे अलग राज्य का दर्जा दिया, जिसके चलते इसके विकास को नई ऊंचाईयां हासिल हुई हैं। रेलवे जोन की मंजूरी भी उन्होंने ही दी। उनकी सज्जनता ही थी कि बहुमत न होते हुए भी कई क्षेत्रीय दलों ने उन्हें प्रधानमंत्री बनाने के लिए अपना समर्थन दिया था।