बिलासपुर । बैगा जनजाति की युवतियों ने स्वावलंबन की ओर कदम बढ़ाया है। वे परंपरागत व्यवसाय से हटकर अपने आजीविका का साधन जुटाने में सक्षम हो रही हैं।
कलेक्टर डॉ.संजय अलंग की पहल पर ग्राम गनियारी में ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत स्थापित मल्टी स्किल सेंटर के ‘आजीविका आंगन’ में बैगा जनजाति की 13 युवतियां सिलाई का प्रशिक्षण ले रही हैं। प्रशिक्षण के बाद सभी को श्रम विभाग निःशुल्क सिलाई मशीन देगा, जिससे वे गांव वालों के कपड़े सिल कर आय अर्जित करेंगी और आत्मनिर्भर बनेंगी।
बीते कई माह से चल रहे प्रशिक्षण में ग्राम लूफा, नागचुंवा, पुडू नयापारा आदि ग्रामों की युवतियों ने सिलाई कार्य में निपुणता हासिल कर ली है। शर्ट, ट्यूनिक, सलवार सूट, ब्लाउज, स्कूल ड्रेस सिलाई का काम वे फटा-फट करने लगी हैं। लूफा की दिव्या बैगा दसवीं तक पढ़ाई करने के बाद आगे नहीं पढ़ पाई। उसके माता-पिता मजदूरी करते हैं। वह घर में खाली बैठकर नहीं रहना चाहती, बल्कि कुछ काम करके घर की आर्थिक स्थिति सुधारने में माता-पिता का सहयोग करना चाहती है। उसे ग्राम सचिव ने गनियारी के आजीविका आंगन के बारे में बताया। दिव्या ने अपनी सहेलियों को भी इसके लिये तैयार किया और वे सभी गनियारी आकर सिलाई प्रशिक्षण लेने लगीं। उनके निःशुल्क रहने, खाने की व्यवस्था पंचायत द्वारा कर दी गई है। प्रशिक्षण पूरा होने के बाद मिलने वाली सिलाई मशीन को लेकर वह गांव में सिलाई सेंटर खोलने की योजना बना रही हैं ।
इसी गांव की सोनिया बैगा ने इस वर्ष कॉलेज के प्रथम वर्ष में प्रवेश किया है। वह भी सिलाई कार्य में निपुण हो चुकी है। गांव जाकर वह अपने साथ-साथ गांव वालों का कपड़ा भी सिलना चाहती है। ग्राम पुडू़ नवापारा की अमरिका बैगा भी पढ़ाई के साथ-साथ सिलाई प्रशिक्षण ले रही है, ताकि आत्मनिर्भर बन सके। ग्राम नागचुंवा की रजनी बैगा और सविता बैगा ने नवमीं तक पढ़ाई की। घर की परिस्थिति के कारण उन्हें आगे पढ़ने का मौका नहीं मिला। उनके माता-पिता सुपा, झाड़ू बनाने का परंपरागत व्यवसाय करते हैं। लेकिन इससे उन्हें ज्यादा आमदनी नहीं होती है। ये युवतियां सिलाई कार्य को अपना व्यवसाय बनाकर परिवार की आय बढ़ाने में सहयोग करना चाहती है। आजीविका आंगन के माध्यम से इन युवतियों के सपने साकार होने जा रहे हैं।