बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के चर्चित शराब घोटाले में जेल में बंद पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। शुक्रवार को न्यायमूर्ति अरविंद वर्मा की एकलपीठ ने उनकी ज़मानत याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि मामला अत्यंत गंभीर है, इसलिए ज़मानत नहीं दी जा सकती।

डेढ़ साल बाद की गिरफ्तारी को बताया गया गलत

लखमा की ओर से उनके अधिवक्ता हर्षवर्धन परगनिहा ने दलील दी कि ईओडब्ल्यू ने जिस मामले में उन्हें गिरफ्तार किया है, वह 2024 में दर्ज हुआ था, लेकिन गिरफ्तारी 2025 में की गई। इस दौरान उन्हें कभी नोटिस नहीं दिया गया। जब लखमा को गिरफ्तारी की आशंका हुई और उन्होंने अग्रिम ज़मानत के लिए याचिका लगाई, तभी उन्हें पकड़ लिया गया। वकील ने कोर्ट से कहा कि केवल गवाहों के बयानों के आधार पर उन्हें आरोपी बनाया गया है, जबकि कोई ठोस सबूत उनके खिलाफ नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व मंत्री को राजनीतिक साजिश के तहत फंसाया जा रहा है।

हर महीने दो करोड़ रुपये कमीशन के आरोप

वहीं दूसरी ओर, शासन की तरफ से पेश हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता विवेक शर्मा ने कोर्ट को बताया कि ईओडब्ल्यू की चार्जशीट के अनुसार कवासी लखमा के बंगले में हर महीने करीब दो करोड़ रुपये कमीशन पहुंचता था। यह घोटाला संगठित सिंडिकेट की तरह चलता था, जिसमें अधिकारियों से लेकर मंत्री तक शामिल थे। इसी के आधार पर जांच एजेंसी ने उन्हें गिरफ्तार किया था।

गौरतलब है कि कवासी लखमा को पहले ईडी ने गिरफ्तार किया था और बाद में आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने भी उन्हें अपने केस में आरोपी बनाते हुए चार्जशीट दायर की थी।

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