दुर्ग। छत्तीसगढ़ के दुर्ग रेलवे स्टेशन से मानव तस्करी और धर्मांतरण के आरोप में पकड़ी गईं केरल की दो ननों को कोर्ट से फिलहाल राहत नहीं मिली है। पहले निचली अदालत और अब सेशन कोर्ट ने भी उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी है। अदालत ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि मामला एनआईए एक्ट के दायरे में आता है, इसलिए इस पर सुनवाई का अधिकार उनके पास नहीं है। अब यह मामला बिलासपुर स्थित एनआईए कोर्ट में जाएगा।
गिरफ्तार नन प्रीति मैरी, वंदना फ्रांसिस और युवक सूकमन मंडावी को अभी जेल में ही रखा जाएगा। कोर्ट ने साफ किया है कि यह मामला मानव तस्करी से जुड़ा है, इसलिए पुलिस को 15 दिन के भीतर जांच पूरी कर केंद्र सरकार से परमिशन लेनी होगी।
बता दें कि 25 जुलाई को बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने दुर्ग रेलवे स्टेशन पर इन तीनों को रोक लिया था। उन पर आरोप है कि वे नारायणपुर जिले की तीन आदिवासी लड़कियों को बहला-फुसलाकर आगरा ले जा रहे थे। आरोप है कि लड़कियों का धर्मांतरण किया जाना था। स्टेशन पर नारेबाजी के बाद कार्यकर्ताओं ने उन्हें जीआरपी पुलिस के हवाले कर दिया, जिसके बाद तीनों को न्यायिक रिमांड पर जेल भेजा गया।
इधर, सीपीआई (एम) की वरिष्ठ नेता बृंदा करात चार सांसदों की टीम के साथ दुर्ग सेंट्रल जेल पहुंचीं और वहां बंद ननों व युवक से मुलाकात की। जेल से बाहर आकर उन्होंने कहा कि “ननों को फंसाया गया है, उनके साथ मारपीट हुई है और पुलिस तमाशा देखती रही।” उन्होंने कहा, “लड़कियां बालिग हैं, वे कहीं भी जा सकती हैं और नौकरी कर सकती हैं। यह कार्रवाई संविधान के खिलाफ है।”
बृंदा करात ने आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ में गुंडों का राज है और इस मामले से मानवता की मर्यादा तार-तार हो रही है। उन्होंने एफआईआर वापस लेने और ननों की तुरंत रिहाई की मांग की है। उनका कहना था कि यह देश के लिए शर्म की बात है।