बजरंग केडिया ने 80वें जन्मदिन पर रखे गए अभिनंदन समारोह में अनुभव बांटे

बिलासपुर। मैंने अख़बार की नौकरी नहीं, पत्रकारिता की। जिनसे मार्गदर्शन मिला उनके प्रति हमेशा कृतज्ञ रहा, किसी मातहत को सजा नहीं दी, अच्छी टीम मिली इसलिये सफल रहा। यह बात वरिष्ठ पत्रकार और नवभारत के पूर्व सम्पादक बजरंग केडिया ने रविवार को बिलासपुर प्रेस क्लब द्वारा रखे गये अभिनंदन समारोह में कही।

बिलासपुर प्रेस क्लब ने अपने वरिष्ठतम सदस्य केडिया की आयु के 80वर्ष पूर्ण होने पर एक विशेष सम्मान समारोह रखा था। वंडर वर्ल्ड पेन्डारी में रखे गये इस समारोह में उनके साथ काम कर चुके सहयोगी और मित्र बड़ी संख्या में उपस्थित थे। साहित्यकार व छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. विनय पाठक, पूर्व प्रशासनिक अधिकारी व साहित्यकार डॉ. सुशील त्रिवेदी तथा राहुल सिंह मंच पर उपस्थित थे।

व्यापारिक पृष्ठभूमि होते हुए भी केडिया पत्रकारिता और समाचार पत्र प्रबंधन से किस तरह जुड़े इस पर उन्होंने अपनी बात रखी। उन्होंने बताया कि जब कक्षा तीन में थे तभी से उनके घर के पास एक मारवाड़ी पुस्तकालय था, जिसकी चाबी उनके घर पर ही होती थी। पढ़ने की रूचि तो हुई वहां होने वाली अन्य सांस्कृतिक गतिविधियों का भी उन पर प्रभाव पड़ा। इसके बाद बिलासपुर आये तो इंदर सोन्थलिया के जरिये वे गुरुदेव कश्यप के सम्पर्क में आये और व्यापार से समय निकालकर बिलासपुर टाइम्स में लिखने लगे। फिर उनकी चर्चा हुई और लोकस्वर के लिए श्याम अग्रवाल, निरंजन केशरवानी की टीम ने उन्हें साथ रख लिया। उस समय रमेश नैयर को लोकस्वर का सम्पादक बनाया गया था, जिनसे उन्होंने बहुत कुछ सीखा। सन् 1984 में बिलासपुर से नवभारत का संस्करण शुरू करने की हलचल हुई। तत्कालीन मंत्री बी आर यादव जो एक समय खुद नवभारत के पत्रकार रहे हैं, उन्होंने केडिया को बुलाकर पूछा, क्या वे यहां काम करना चाहेंगे। नये अखबार को जमाना पड़ेगा, काफी मेहनत करनी होगी। केडिया खुशी-खुशी तैयार हो गये और कहा कि वे मेहनत से नहीं डरते, बचपन से करते आ रहे हैं। वे इंदर सोन्थलिया के साथ नागपुर गये। वहां प्रधान सम्पादक रामगोपाल माहेश्वरी ने उनकी व्यापारिक पृष्ठभूमि को जानकर पूछा कि फिर आप नौकरी कैसे करेंगे? केडिया ने कहा कि वे नौकरी करने नहीं बल्कि पत्रकारिता करने के लिए नवभारत से जुड़ना चाहते हैं।

केडिया ने कहा कि ‘नवभारत’ की लोकप्रियता इतनी बढ़ी कि उस वक्त इसके सभी दस संस्करणों में बिलासपुर की चर्चा होने लगी थी। अपने काम करने के तरीके का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि मेहनत में कहीं कमी नहीं होनी चाहिए। अपने साथियों को पूरा अवसर देना चाहिए कि वे अपनी प्रतिभा, क्षमता को प्रदर्शित कर सके। लोग यह कहते हैं कि केडिया ने नवभारत को ऊंचाई पर पहुंचाया। पर यह सही नहीं है यह पूरी टीम की मेहनत और समर्पण का नतीजा था।

उन्होंने एक दिलचस्प बात बताई कि अपने 24-25 साल के कार्यकाल के दौरान उन्होंने अपने लगभग 200 सहयोगियों में से किसी को कोई सजा नहीं दी। हो सकता है यह ठीक बात नहीं थी लेकिन उन्हें लगता है कि इससे संस्थान को आगे बढ़ाने में ही मदद मिली। केडिया ने कहा कि जिन लोगों ने आपको आगे बढ़ाया और जो आपके दोस्त हैं उनका साथ कभी नहीं छोड़िये। थोड़ी बहुत नाराजगी पैदा भी हो जाये तो आगे बढ़कर मना लीजिये। उन्होंने कहा कि वृद्धावस्था के लिए धन प्रबंधन महत्वपूर्ण नहीं है। वह घटता-बढ़ता रहता है। जरूरी है कि कार्य प्रबंधन करिये। अभी से सोच लें कि 60 के बाद अगले पांच-पांच बरसों में आप क्या-क्या करने वाले हैं।

कार्यक्रम में उपस्थित डॉ.पाठक, डॉ. त्रिवेदी व राहुल सिंह ने केडिया से अपने कई दशक से बने सम्बन्धों का जिक्र किया और उनकी कर्मठता की प्रशंसा की। साहित्यकार द्वारिका प्रसाद अग्रवाल ने अपनी किताब ‘मद्धम-मद्धम’ के उस अंश का पाठ किया जिसमें केडिया की एक तेल के व्यापारी से सफल पत्रकार व प्रबंधक बनने की यात्रा का वृतांत है। अग्रवाल ने बताया कि किस तरह केडिया ने अपनी कुशलता से नवभारत को कुछ सालों के भीतर शीर्ष पर पहुंचा दिया था।

केडिया को प्रेस क्लब की ओर से शॉल व श्रीफल के साथ एक अभिनंदन पत्र सौंपा गया,जिसमें उनके शतायु होने की कामना की गई। इसका वाचन सचिव वीरेन्द्र गहवई ने किया।

सभा में ‘पत्रकारिता का नया दौर और चुनौतियां’ विषय पर परिसंवाद भी रखा गया था। वरिष्ठ पत्रकार, रुद्र अवस्थी, वरूण सखा जी और यशवंत गोहिल ने इस पर विचार रखे। उन्होंने वेब मीडिया के जरिये पत्रकारिता के बढ़ते दायरे का उल्लेख करते हुए विश्वसनीयता को बनाये रखने के नये उपाय करने पर जोर दिया।

बिलासपुर प्रेस क्लब के अध्यक्ष तिलकराज सलूजा, सचिव वीरेन्द्र गहवई ने अतिथियों को स्मृति चिह्न प्रदान किया। पत्रकार उमेश सिंह ठाकुर व विलोकेश श्रीवास्तव का जन्मदिन भी यहां केक काटकर मनाया गया। कार्यक्रम का संचालन राजेश दुआ ने किया। अतिथियों के स्वागत का प्रबंध राजू केडिया व अबरार हुसैन देख रहे थे।

उपस्थित पत्रकारों में मनोज शर्मा, प्रवीण शुक्ला, अमिताभ तिवारी, के के शर्मा, रामाधार देवांगन, सुरजीत सिंह, निर्मल माणिक, राजीव द्विवेदी, भास्कर मिश्रा, भुवन वर्मा, नवभारत में सहयोगी रह चुके शिव अवस्थी, मनोज पुरोहित, सुधीर जैन व अन्य शामिल थे।

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