फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट से नौकरी करने वाले अफसरों की बर्खास्तगी सहित 6 सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलन
रायपुर। छत्तीसगढ़ में फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र लगाकर नौकरी करने वाले अधिकारियों की बर्खास्तगी की मांग को लेकर रायपुर में जुटे दिव्यांग संघ के प्रदर्शनकारियों पर आज सुबह पुलिस ने बलपूर्वक कार्रवाई की। विधानसभा घेराव से पहले बस स्टैंड के पास बैठे दिव्यांग महिलाओं और पुरुषों को पुलिस ने घसीटकर गाड़ियों में बैठाया और नवा रायपुर के तूता धरनास्थल ले गई।
इस पूरी घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें महिला दिव्यांगों को भी पुलिसकर्मी खींचते और बदसलूकी करते नजर आ रहे हैं। दिव्यांग संघ का आरोप है कि वे शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन के लिए निकले थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें जबरन रोककर धरनास्थल पहुंचा दिया।
संघ से जुड़े सदस्यों ने बताया कि वे इससे पहले भी कई बार अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर चुके हैं और हर बार सरकार ने आश्वासन देकर आंदोलन रुकवा दिया। लेकिन जब अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो उन्होंने राज्यव्यापी विधानसभा घेराव का निर्णय लिया।
यह हैं दिव्यांग संघ की 6 प्रमुख मांगे:
- फर्जी दिव्यांग प्रमाणपत्र पर नौकरी करने वाले सभी अधिकारियों को तत्काल बर्खास्त किया जाए।
- दिव्यांग कोटे के बैकलॉग पदों पर विशेष भर्ती अभियान चलाया जाए।
- दिव्यांग पेंशन को बढ़ाकर ₹5000 प्रतिमाह किया जाए।
- पेंशन के लिए BPL की शर्त खत्म की जाए।
- 21 वर्ष से अधिक अविवाहित दिव्यांग महिलाओं को ‘महतारी वंदन योजना’ में शामिल किया जाए।
- पदोन्नति में 3% आरक्षण सुनिश्चित करने के लिए स्पष्ट परिपत्र जारी किया जाए।
148 अफसरों पर फर्जी प्रमाणपत्र से नौकरी पाने का आरोप
दिव्यांग संघ के पदाधिकारियों ने मंगलवार को मीडिया से बात करते हुए बताया कि छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) के ज़रिए चयनित कई अधिकारियों ने फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र लगाकर सरकारी नौकरी हासिल की है। इनमें 7 डिप्टी कलेक्टर, 3 लेखा अधिकारी, 3 नायब तहसीलदार, 2 सहकारिता निरीक्षक, 3 पशु चिकित्सक सहित कुल 148 अधिकारी शामिल हैं।
संघ ने स्पष्ट किया है कि जब तक इन सभी अफसरों को बर्खास्त नहीं किया जाता और उनकी अन्य मांगे नहीं मानी जातीं, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।













