बिलासपुर। कल 22 जुलाई को हाईकोर्ट में जवाब देने से पहले स्वास्थ्य विभाग ने ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए 6 झोलाछाप डॉक्टरों के दवाखाने बंद कर दिए लेकिन सीएम के आदेश की अवहेलना करते हुए मलेरिया, डायरिया प्रभावित इलाके के सरकारी अस्पतालों का हाल बुरा रहा। ज्यादातर अस्पतालों में ताले मिले, दरवाजे पर मलबा मिला। 24 घंटे तैनात रहने के मुख्यमंत्री के निर्देश के बावजूद।
रतनपुर के वरिष्ठ पत्रकार उस्मान कुरैशी ने आज कोटा विकासखंड के विभिन्न सरकारी अस्पतालों का हाल देखा तो मालूम हुआ कि डायरिया और मलेरिया के प्रकोप से बेखौफ अस्पताल के स्टाफ नदारद हैं। गेट के सामने मलबा पड़ा है, जिससे पता चलता है कि ये कई दिनों से बंद हैं।
0 रतनपुर इलाके के कंचनपुर में स्वास्थ्य केंद्र की बिल्डिंग बहुत अच्छी है। यहां गेट पर ताला लगा था। कोई स्टाफ मौजूद नहीं था।
0 केंदा में एक आरएमओ ( त्रिवर्षीय पाठ्यक्रम वाले) जूनियर डॉक्टर इलाज कर रहे थे, इन्हें डॉक्टरों का सहयोग करने का ही अधिकार दिया गया है लेकिन ये अपना नाम भी नहीं बता रहे थे। वहां पहुंचे मरीजों को खुद ही इंजेक्शन लगा रहे थे। आरएमओ ने अपना नाम बताने से भी मना कर दिया।
0 पुड़ में अस्पताल बंद मिला। अस्पताल के गेट के सामने मलबा मिला। कई दिनों से बंद लग रहा था।
0 दूसरे सरकारी अस्पतालों का भी यही हाल था।
उल्लेखनीय है कि टेंगनमाड़ा और सिलपहरी मिलाकर कोटा अनुविभाग में अब तक मलेरिया से चार बच्चों की मौत हो चुकी है, जिस पर हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है।