बिलासपुर। अरपा भैंसाझार परियोजना में मुआवजा वितरण को लेकर भारी वित्तीय अनियमितता का मामला अब चार साल बाद सुर्खियों में है। इस मामले में राज्य सरकार ने बिलासपुर के वर्तमान आरटीओ आनंद रूप तिवारी को निलंबित कर दिया है। यह कार्रवाई तब हुई है जब तिवारी कोटा में एसडीएम रहते हुए ज़मीन अधिग्रहण में बड़ी लापरवाही बरतने और नियमों के खिलाफ काम करने के दोषी पाए गए।
ऐसे की गई मुआवजे की बंदरबांट
कोटा क्षेत्र के सकरी के पास नहर निर्माण के लिए ज़मीन अधिग्रहण किया गया था। इसी में मुआवजे को लेकर बड़ा खेल हुआ। एक ही खसरे की अलग-अलग माप बताकर और ज़मीन का उपयोग बदलकर 3 करोड़ 42 लाख रुपये का मुआवजा गलत तरीके से बाँट दिया गया।
जांच में सामने आया कि ज़मीन की माप में गड़बड़ी की गई, खसरों को अलग दिखाया गया, और कृषि भूमि को व्यावसायिक बताकर मुआवजे की राशि बढ़ाई गई।
चार साल से जांच की कार्रवाई बहुत धीमी
इस मामले की शिकायत 9 जून 2021 को की गई थी। 6 सदस्यीय टीम बनाई गई, और फरवरी 2023 तक 20 सदस्यीय टीम की रिपोर्ट में सारी अनियमितताओं की पुष्टि भी हो गई। सभी 24 आरोप सही पाए गए।
फिर भी, अभी तक सिर्फ 3 अफसरों पर ही कार्रवाई हुई:
- तत्कालीन पटवारी दिलशाद अहमद को सस्पेंड किया गया
- आरआई मुकेश साहू को बर्खास्त किया गया
- अब जाकर आनंद रूप तिवारी को निलंबित किया गया
जबकि जांच में कई बड़े अफसरों की भूमिका भी पाई गई थी :
- तत्कालीन एसडीएम कीर्तिमान सिंह राठौर
- तत्कालीन नायब तहसीलदार मोहर साय सिदार
- तत्कालीन राजस्व निरीक्षक हुल सिंह
- जल संसाधन विभाग के दो पूर्व ईई – आरएस नायडू और अशोक तिवारी
- तत्कालीन एसडीओ राजेंद्र मिश्रा, एसके द्विवेदी और आरके राजपूत
इन सभी के नाम रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से हैं, फिर भी आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
सरकारी पैसा गया, नहर आज भी अधूरी
- ज़मीन अधिग्रहण में करोड़ों का घोटाला हुआ
- जिन जगहों पर नहर निकली ही नहीं, वहाँ भी मुआवजा दिया गया
- सिर्फ 1.9 किमी के हिस्से में करोड़ों का खेल हो गया
- 12 साल बीतने के बाद भी परियोजना अधूरी है
- अब कोटा डिवीजन में 100 करोड़ रुपये के और काम रुके हैं