31 अगस्त तक न जमा किया अंशदान तो बेदखली तय, मगर जमीनी समस्याओं पर नहीं कोई सुनवाई
बिलासपुर। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बिलासपुर नगर निगम ने गरीबों को जो छत दी थी, वो अब उनके लिए बोझ बनती जा रही है। साल 2017 से 2019 के बीच आईएचएसडीपी (इंटीग्रेटेड हाउसिंग एंड स्लम डेवलपमेंट प्रोग्राम) के तहत 6,500 से अधिक मकान बांटे गए थे। प्रत्येक हितग्राही से 33 हजार रुपए अंशदान के रूप में लिए जाने थे, लेकिन कई लोगों ने यह राशि अब तक नहीं दी।
अब नगर निगम ने सख्ती दिखाते हुए 31 अगस्त तक की अंतिम मोहलत दी है और चेतावनी दी है कि तय समय सीमा तक किश्त न चुकाने वालों के मकानों पर ताले लगा दिए जाएंगे।
चुनावों के समय मिली ढील, अब अचानक सख्ती
बीते दो-तीन सालों में चुनावों के चलते निगम ने किश्त वसूली को लेकर ढील बरती थी। जनप्रतिनिधियों ने रहवासियों को न सिर्फ छूट का आश्वासन दिया, बल्कि मकानों की मरम्मत और बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने का भरोसा भी दिलाया। मगर अब निगम ने अचानक कार्रवाई तेज कर दी है।
ब्याज और पेनल्टी वसूली पर उठ रहे सवाल
जिन लोगों ने पहले 3 हजार की रसीद कटवाकर मकान पाया था, उनसे अब ब्याज समेत 33 हजार रुपए की मांग की जा रही है। जबकि निगम के ही कर्मचारी मानते हैं कि इतनी रकम वसूलने का कोई स्पष्ट आदेश नहीं है और न ही पेनल्टी लेने का निर्देश मिला है। इसके बावजूद आवास शाखा के कुछ इंजीनियर अपने स्तर पर मनमानी कर रहे हैं।
रजिस्ट्री अब भी अधूरी, सुविधाएं नदारद
कई गरीब ऐसे हैं जिन्होंने पूरी राशि जमा कर दी, फिर भी उनकी मकान रजिस्ट्री अब तक नहीं हुई। दूसरी ओर, जिन मकानों में लोग रह रहे हैं वहां खिड़की-दरवाजे टूटे हैं, सैप्टिक टैंक का गंदा पानी बहता है, और बिजली-पानी की भी नियमित व्यवस्था नहीं है।
सुविधाओं की मांग पर कई बार प्रदर्शन
हाल ही में हुए सर्वे में यह बात सामने आई कि 390 मकान किराए पर दे दिए गए, 150 बेच दिए गए, 359 पर अवैध कब्जा है और 1,142 मकान ऐसे हैं जहां ताले लटके हुए हैं। वहीं, जो लोग मकानों में रह रहे हैं, वे निगम से सुविधाओं की मांग को लेकर कई बार प्रदर्शन कर चुके हैं। साफ-सफाई, बिजली-पानी जैसी बुनियादी जरूरतों पर बार-बार गुहार लगाने के बावजूद निगम ने कोई कार्रवाई नहीं की।
अब जब नगर निगम ने एकतरफा ताले लगाने और बेदखली की नोटिस थमा दी है, तो गरीबों में चिंता और गुस्सा दोनों है। उनका कहना है कि खराब मकानों में रहने के बाद भी उनसे मनमाना पैसा वसूला जा रहा है, जबकि उनकी समस्याओं की कोई सुनवाई नहीं हो रही।