बिलासपुर। जिले में गांवों में छोटे-छोटे विवादों को आपसी बातचीत से सुलझाने की दिशा में एक नई और सार्थक पहल की गई है। इसके तहत पंचायत प्रतिनिधियों को सामुदायिक मध्यस्थता (कम्युनिटी मेडिएशन) की जानकारी दी गई ताकि स्थानीय स्तर पर ही न्याय की प्रक्रिया को सरल और सुलभ बनाया जा सके।
जनपद पंचायत बिल्हा के सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में कलेक्टर संजय अग्रवाल ने प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा कि, “जब गांव में ही आपसी समझ और संवाद से छोटे विवाद सुलझ सकते हैं, तो उन्हें कोर्ट-कचहरी ले जाने की जरूरत नहीं। इससे लोगों का पैसा, समय और श्रम तीनों की बचत होगी।” उन्होंने कहा कि पंचायतें केवल विकास कार्यों तक सीमित न रहें, बल्कि सामाजिक समरसता बनाए रखने में भी सक्रिय भूमिका निभाएं।
इस अवसर पर मौजूद जिला पंचायत सीईओ संदीप अग्रवाल ने बताया कि हर ग्राम पंचायत से शिक्षित युवाओं के नाम मांगे गए हैं, जिन्हें पांच दिवसीय विधिक प्रशिक्षण देकर मध्यस्थता की बारीकियां सिखाई जाएंगी। यह पहल बिल्हा से शुरू होकर पूरे जिले में लागू की जाएगी।
कलेक्टर ने पंचायत प्रतिनिधियों से कहा, “जो समाज के लिए काम करता है, उसका नाम होता है। अगर आप गांव में शांति और समाधान की संस्कृति विकसित करेंगे, तो यह आपके नेतृत्व की असली पहचान होगी।” उन्होंने बताया कि भूमि विवाद, पारिवारिक झगड़े, सामाजिक टकराव जैसे मामलों का समाधान ग्राम स्तर पर ही पंच-सरपंचों और युवाओं की मदद से किया जा सकता है।
कार्यक्रम में प्रतिनिधियों को आयुष्मान भारत योजना, पीएम किसान निधि, नल-जल योजना, सड़क दुर्घटना राहत योजना सहित अन्य जनकल्याणकारी योजनाओं की जानकारी भी दी गई और उन्हें इन योजनाओं को गांव-गांव तक पहुंचाने में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए कहा गया।
कलेक्टर ने साथ ही “युवोदय कार्यक्रम” की जानकारी दी, जिसके माध्यम से युवाओं को शासन की योजनाओं से जोड़कर गांव के विकास में उनकी भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।
उन्होंने नशा मुक्त समाज की अपील करते हुए कहा कि “पहले खुद नशे से बचें और दूसरों को भी जागरूक करें।”
इस अवसर पर संस्था की संस्थापक एडवोकेट हमीदा सिद्दीकी, रेड क्रॉस नोडल अधिकारी सौरभ सक्सेना, बिल्हा सीईओ एस.एस. पोयम सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।
कार्यक्रम में विधि छात्रों ने नशा विरोधी नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत कर लोगों को जागरूक भी किया।