📜 पुष्प की अभिलाषा
✍️ माखनलाल चतुर्वेदी

चाह नहीं मैं सुर्ना चाँदनी ले कर,
इस भवानी पर सजाया जाऊँ।
चाह नहीं, प्रेमी-मालिका में बंधकर,
प्रिय के गले लगाया जाऊँ।

चाह नहीं, सम्राटों के शव पर हे देव,
डाला जाऊँ।
चाह नहीं, देवताओं के सिर पर चढ़ूँ,
भाग्य पर इठलाया जाऊँ।

मुझे तोड़ लेना बनमाली!
उस पथ पर देना तुम फेंक,
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने,
जिस पथ जाएँ वीर, अनेक।


1922 में इसी जेल में माखनलाल चतुर्वेदी ने रची थी यह कालजयी कविता, उप मुख्यमंत्री अरुण साव रहे मौजूद

बिलासपुर। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और सुप्रसिद्ध साहित्यकार एक भारतीय आत्मा कहे जाने वाले स्व. माखनलाल चतुर्वेदी की कालजयी कविता पुष्प की अभिलाषा का सामूहिक पाठ गुरुवार को बिलासपुर केन्द्रीय जेल में किया गया। इस आयोजन में उप मुख्यमंत्री एवं जिले के प्रभारी मंत्री अरुण साव विशेष रूप से उपस्थित हुए।

कार्यक्रम में बड़ी संख्या में कैदियों ने सामूहिक स्वर में कविता का पाठ किया। इसी केन्द्रीय जेल में निरुद्ध रहते हुए माखनलाल चतुर्वेदी ने 18 फरवरी 1922 को इस कविता की रचना की थी। जेल प्रशासन ने एक निजी समाचार संस्थान के सहयोग से इस समारोह का आयोजन किया। इसमें विधायक सुशांत शुक्ला, वरिष्ठ साहित्यकार सतीश जायसवाल, संपादक एवं कवि देवेंद्र कुमार सहित अनेक गणमान्य और अधिकारी उपस्थित थे।

उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने चतुर्वेदी के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि यह कविता देशभक्ति और बलिदान की अद्भुत प्रेरणा देती है। इसमें एक फूल की इच्छा व्यक्त की गई है कि वह सम्राट या देवता के चरणों में न चढ़कर उस मार्ग में कुचला जाए, जहां से सेनानी देश की आज़ादी की लड़ाई लड़ते हुए गुजरें। साव ने कहा कि यह कविता त्याग और राष्ट्रप्रेम का अमूल्य प्रतीक है और बिलासपुर सहित पूरे छत्तीसगढ़ के लिए एक बड़ी धरोहर है।

उन्होंने याद दिलाया कि माखनलाल चतुर्वेदी 5 जुलाई 1921 से 1 मार्च 1922 तक कुल 7 माह 27 दिन इसी केन्द्रीय जेल में निरुद्ध रहे और यहीं रहते हुए उन्होंने पुष्प की अभिलाषा लिखकर सेनानियों को समर्पित की। स्वतंत्र भारत में उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। साव ने कहा कि इस कविता का एक-एक शब्द समाज और राष्ट्र के लिए निस्वार्थ सेवा की प्रेरणा देता है।

समारोह में दीपक सिंह और मोहित जायसवाल भी उपस्थित रहे। अंत में जेल अधीक्षक खोमेश मंडावी ने आभार व्यक्त किया।

📌 Fect Box : पुष्प की अभिलाषा

  • लेखक: माखनलाल चतुर्वेदी
  • रचना स्थल: केन्द्रीय जेल, बिलासपुर
  • रचना तिथि: 18 फरवरी 1922
  • जेल प्रवास: 5 जुलाई 1921 से 1 मार्च 1922 (कुल 7 माह 27 दिन)
  • महत्व: स्वतंत्रता सेनानियों के लिए समर्पित कालजयी देशभक्ति कविता
  • उपाधि: “एक भारतीय आत्मा”
  • सम्मान: स्वतंत्र भारत का पहला साहित्य अकादमी पुरस्कार

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