बिलासपुर। रेलवे स्टेशन के पुनर्विकास के लिए रेलवे प्रशासन ने अमृत भारत योजना के तहत 18 दुकानों को 7 दिनों के भीतर खाली करने का निर्देश दिया है। साथ ही, व्यापारियों से 14 साल का बकाया किराया, विलंब शुल्क और जीएसटी सहित पूरी राशि जमा करने को कहा गया है। इन दुकानदारों पर 10 लाख से 1 करोड़ रुपये तक का बकाया है, जिसका कुल आंकड़ा लगभग 3 करोड़ रुपये तक पहुँच गया है।

इन दुकानों में शामिल प्रमुख नामों में मुल्क राज (मुल्कराज होटल), शंकर कछवाहा (एलोरा होटल), शमा देवी उइके (मां शारदा भोजनालय), शिवाती बाई मिश्रा (मिश्रा भोजनालय), के भास्कर राव (लक्ष्मी वैष्णवी भोजनालय), शमीम हुसैन (लखनवी मन्नत होटल), इतवारी लाल कछवाहा (अजंता होटल), रामदुलारी अग्रवाल (मारवाड़ी होटल), सुभाष चंद अग्रवाल (मारवाड़ी होटल), असलम हुसैन (मारवाड़ी होटल टी), सीता राम जुनेजा (बूट हाउस-होटल), मनीष कुमार अग्रवाल (मारवाड़ी रेस्टोरेंट), राधामोहन अग्रवाल (महेश होटल), पीआर वासन (मां बम्लेश्वरी इलेक्ट्रॉनिक्स), रमेश कुमार (आटा चक्की), कमल बजाज (कमल भोजनालय), दीपक मोबाइल, जगत मेडिकल, बंगाली भोजनालय, डॉली ड्रेसेस, और दुलाराम (सोना स्वीट्स) शामिल हैं।

रेलवे स्टेशन की नई बिल्डिंग के निर्माण के लिए टेंडर जारी हो चुका है और कंस्ट्रक्शन कंपनी को वर्क ऑर्डर भी मिल गया है। कंपनी ने अब काम शुरू करने के लिए पूरी जमीन खाली करने की मांग की है। इसके तहत रेलवे ने बुधवारी बाजार में स्थित 13 होटलें, एक फल दुकान, रेलवे स्कूल से सटी एक होटल, मेडिकल स्टोर, रेडीमेड स्टोर और भोजनालय सहित कुल 18 दुकानों को खाली करने का आदेश जारी किया है। यह जमीन लगभग 15,000 वर्गफीट की है, जिसकी नाप-जोख रेलवे प्रशासन के इंजीनियरिंग विभाग ने पहले ही कर ली थी।

पहले व्यापारी इस बात को लेकर अनिश्चित थे कि रेलवे प्रशासन क्या कदम उठाने जा रहा है, लेकिन गुरुवार को अचानक सभी दुकानदारों को नोटिस जारी कर दिया गया। सीनियर डीईएन सेटलमेंट द्वारा जारी इस नोटिस में उन्हें 7 दिनों के भीतर दुकानें खाली करने और बकाया राशि जमा करने के लिए कहा गया है।

रेलवे के गेट नंबर 4 के सामने स्थित इन दुकानों में सबसे पुरानी होटलें मुल्कराज होटल, शारदा भोजनालय और मिश्रा भोजनालय हैं। इनके पास 1000 से 5000 वर्गफीट तक की जमीन है, जिस पर रेलवे प्रशासन ने भारी बकाया निकाला है। नोटिस में स्पष्ट तौर पर बकाया राशि का विवरण नहीं दिया गया है, लेकिन व्यापारियों का कहना है कि यह लाइसेंस फीस की बकाया राशि, विलंब शुल्क और 18 प्रतिशत जीएसटी के रूप में मांगा गया है।

यदि व्यापारी दुकानें खाली नहीं करते हैं तो रेलवे प्रशासन सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत अधिभोगियों की बेदखली) अधिनियम-1971 के तहत कानूनी कार्रवाई करेगा।

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