बिलासपुर। जिले में शिक्षकों की नई पदस्थापना (युक्तियुक्तकरण) को लेकर शिक्षकों में नाराज़गी दिख रही है। इसी को लेकर गुरुवार को कलेक्टर संजय अग्रवाल ने पत्रकारों से बातचीत कर पूरी प्रक्रिया की सफाई दी।
कलेक्टर ने कहा कि शिक्षकों का स्थानांतरण पूरी तरह शासन के निर्देशों के मुताबिक किया गया है, ताकि स्कूलों में छात्र और शिक्षक की संख्या का संतुलन बैठाया जा सके। उन्होंने साफ कहा कि अगर कोई शिक्षक इस फैसले से असहमत है और कोर्ट या शासन के पास जाता है, तो प्रशासन नियमों के मुताबिक जवाब देगा।
उन्होंने बताया कि जिन स्कूलों में छात्रों की संख्या बहुत कम थी, या जहां जरूरत से ज्यादा शिक्षक पदस्थ थे, वहाँ से शिक्षकों को हटाकर उन स्कूलों में भेजा गया है जहां शिक्षक नहीं थे। इससे खासकर ग्रामीण स्कूलों में गणित, विज्ञान जैसे विषयों के शिक्षक अब उपलब्ध हो पाएंगे।
पत्रकार वार्ता में कलेक्टर ने क्या कहा:
- यह कोई कटौती नहीं, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता और समानता बढ़ाने का बड़ा कदम है।
- राज्य सरकार ने पूरे प्रदेश में युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया अपनाई है।
- बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो, इसके लिए पूरी पारदर्शिता से यह कार्य किया गया है।
- जिला प्रशासन शिक्षकों के साथ बातचीत के लिए हमेशा तैयार है, ताकि किसी तरह की गलतफहमी न रहे।
बिलासपुर जिले की स्थिति
- जिले में 4 प्राथमिक स्कूल ऐसे हैं जहाँ एक भी शिक्षक नहीं था, अब यहाँ 2-2 शिक्षक तैनात कर दिए गए हैं।
- 126 स्कूलों में केवल 1 शिक्षक था, यहाँ अब अतिरिक्त शिक्षकों की नियुक्ति की गई है।
- तखतपुर, मस्तूरी, कोटा और बिल्हा ब्लॉक के कई आदिवासी और दूरस्थ गांवों में शिक्षकों की नई तैनाती की गई है।
- शहर की शालाओं में जहाँ आवश्यकता से अधिक शिक्षक थे, उन्हें जरूरतमंद स्कूलों में भेजा गया है।
राज्य स्तर पर क्या स्थिति है:
- प्रदेश में 212 प्राथमिक और 48 पूर्व माध्यमिक स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं था।
- 6,872 प्राथमिक और 255 पूर्व माध्यमिक स्कूलों में केवल एक-एक शिक्षक पदस्थ थे।
- दूसरी ओर, नगरीय क्षेत्रों के कुछ स्कूलों में आवश्यकता से कहीं अधिक शिक्षक थे।
युक्तियुक्तकरण से क्या बदलेगा?
- शिक्षकविहीन स्कूलों में अब पढ़ाई शुरू हो सकेगी।
- विषय विशेषज्ञ शिक्षक मिलने से विद्यार्थियों को बेहतर पढ़ाई का अवसर मिलेगा।
- अच्छी बिल्डिंग, लैब और लाइब्रेरी जैसी सुविधाएं एक ही परिसर में उपलब्ध कराई जा सकेंगी।
- छात्रों को तीन-तीन बार प्रवेश की प्रक्रिया से नहीं गुजरना पड़ेगा।
- ड्रॉपआउट दर में कमी आएगी और परीक्षा परिणाम बेहतर होंगे।
कलेक्टर ने कहा कि छात्र-शिक्षक अनुपात के मामले में छत्तीसगढ़ की स्थिति पहले से ही राष्ट्रीय औसत से बेहतर है। प्रदेश में यह अनुपात 21.84 छात्र प्रति शिक्षक है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर 29 छात्र प्रति शिक्षक का औसत है।