बिलासपुर। बारिश की हल्की आहट के साथ ही वन्यजीवों पर संकट गहराने लगा है। बिलासपुर के मोहनभाठा इलाके में गोह (सैंडी मॉनिटर लिज़र्ड) के शिकार की एक सनसनीखेज घटना सामने आई है। दो अलग-अलग युवक दलों को प्लास्टिक की बोरी, सब्बल और फावड़ा लिए देखा गया, जो जमीन से गोह पकड़ रहे थे। जब पड़ताल की गई तो एक के पास दो और दूसरे के पास तीन गोह बरामद हुए।

गोह एक खास तरह का सरीसृप (reptile) है जो पेड़ पर चढ़ सकता है, तैर सकता है, जमीन में बिल बनाकर रह सकता है और दौड़ भी सकता है। लेकिन शिकारियों का एक खास गिरोह, जिसे ‘साबरिया’ कहा जाता है, गोह को पकड़ने में माहिर होता है। ये शिकारी गोह की पूंछ को उसकी गर्दन में गांठ की तरह बांध देते हैं, जिससे वह बिल्कुल असहाय हो जाता है और हिल-डुल भी नहीं पाता।

इस बार भी ‘साबरिया’ गिरोह ने यही तरीका अपनाया। कुछ गोहों की गर्दन को पूंछ से कसकर बांध दिया गया था। हालाँकि गोह जहरीला नहीं होता, लेकिन उसकी खाल और अंगों की वजह से इसका शिकार किया जाता है।

आखिर गोह का शिकार क्यों किया जाता है?

  1. मांस के लिए:
    कुछ आदिवासी इलाकों में गोह के मांस को स्वादिष्ट और ताकतवर माना जाता है।
  2. दवाइयों के लिए:
    पारंपरिक चिकित्सा (टोटका/झोला छाप इलाज) में गोह के तेल और अंगों का इस्तेमाल जोड़ों के दर्द और यौन शक्ति बढ़ाने की दवा के रूप में किया जाता है।
  3. त्वचा के लिए:
    गोह की मोटी खाल का इस्तेमाल बेल्ट, पर्स और डेकोरेटिव वस्तुएं बनाने में किया जाता है।
  4. अवैध व्यापार:
    गोह के कुछ अंगों की अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग है, जिससे इसके शिकार का अवैध धंधा फल-फूल रहा है।

गौरतलब है कि गोह वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम के तहत संरक्षित जीव है, और इसका शिकार करना कानूनी अपराध है, जिसके लिए जेल और जुर्माना दोनों हो सकता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here