रेल हादसे की जांच में 29 से अधिक अफसर-कर्मचारियों से पूछताछ, जोन स्तर पर नियमों की अनदेखी का मामला सामने आया

बिलासपुरबिलासपुर में 4 नवंबर को हुए ट्रेन हादसे की जांच में एक बड़ा खुलासा हुआ है। कमीशन ऑफ रेलवे सेफ्टी (CRS) की जांच के दौरान यह तथ्य सामने आया कि साइकोलॉजिकल टेस्ट (Psychological Test) में फेल होने के बावजूद लोको पायलट को पैसेंजर ट्रेन चलाने की अनुमति दे दी गई थी।

जांच में पाया गया कि रेलवे के जोन स्तर के अफसरों ने नियमों को दरकिनार कर यह अनुमति दी थी, जिसके चलते अब जिम्मेदारी तय करने के लिए प्रमोशन और अनुमति से जुड़े सभी दस्तावेजों की जांच की जा रही है।

नियमों को दरकिनार कर मिली ट्रेन चलाने की अनुमति

सूत्रों के अनुसार, हादसे में शामिल लोको पायलट विद्यासागर एक माह पहले तक मालगाड़ी चला रहे थे। उन्हें हाल ही में प्रमोशन देकर पैसेंजर ट्रेन (MEMU) चलाने की जिम्मेदारी दी गई थी। जबकि प्रमोशन के दौरान वे साइकोलॉजिकल टेस्ट में असफल हो गए थे। इसके बावजूद उन्हें ट्रेन संचालन की मंजूरी दे दी गई, जो अब जांच का मुख्य बिंदु बन गया है।

हादसे के दौरान नियंत्रण खो बैठे थे लोको पायलट

रेलवे की शुरुआती रिपोर्ट में कहा गया है कि विद्यासागर ने गलत सिग्नल देखकर ट्रेन की स्पीड बढ़ाई थी। सामने मालगाड़ी दिखाई देने पर उन्होंने स्पीड कंट्रोल करने की कोशिश की, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। जिस स्थान पर हादसा हुआ, वहां ट्रैक घुमावदार (curved track) है, जिससे दृश्यता सीमित थी।

सीआरएस की जांच 6 से 8 नवंबर तक चली

कमीशन ऑफ रेलवे सेफ्टी (CRS) के कमिश्नर बी.के. मिश्रा ने 6 नवंबर से जांच शुरू की थी। उन्होंने घटनास्थल, सिग्नल ऑपरेटिंग कंट्रोल रूम और डेटा लॉगर रिकॉर्ड्स की बारीकी से जांच की और महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए।
इसके बाद उन्होंने हादसे के समय ड्यूटी पर मौजूद सभी अधिकारियों और कर्मचारियों की सूची बनाकर व्यक्तिगत पूछताछ और बयान दर्ज किए।

जांच के अंतिम दिन (8 नवंबर) तक 29 से अधिक अधिकारियों और कर्मचारियों से बयान लिए जा चुके हैं। हालांकि, असिस्टेंट लोको पायलट रश्मि राज से बयान नहीं लिया जा सका है क्योंकि वह गंभीर रूप से घायल हैं और अपोलो अस्पताल में भर्ती हैं।

15 नवंबर तक आएगी प्रारंभिक रिपोर्ट

शनिवार शाम को अपनी जांच पूरी करने के बाद सीआरएस बी.के. मिश्रा कोलकाता लौट गए हैं।
सूत्रों के मुताबिक, वे 10 दिनों के भीतर यानी 15 नवंबर तक प्रारंभिक रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।
इस रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया जाएगा कि हादसे की वास्तविक वजह क्या थी और किस स्तर पर नियमों की अनदेखी हुई।

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