नई दिल्ली।  आज रात आकाश में एक दुर्लभ खगोलीय घटना होने वाली है। पूर्ण चंद्रग्रहण, जिसे ‘ब्लड मून’ या ‘रक्त चंद्रमा’ भी कहा जाता है, 7-8 सितंबर की रात को दिखाई देगा। यह 2025 का दूसरा पूर्ण चंद्रग्रहण है, जो लगभग 82 मिनट तक चलेगा। इस दौरान चंद्रमा पृथ्वी की छाया में पूरी तरह डूब जाएगा और लाल रंग का हो जाएगा। दुनिया की लगभग 85% आबादी, यानी करीब 7 अरब लोग, इस घटना को देख सकेंगे, जिसमें यूरोप, एशिया, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और अंटार्कटिका शामिल हैं। हालांकि, उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका में यह दिखाई नहीं देगा।

यह ग्रहण भारतीय समयानुसार (IST) रात 8:58 बजे से शुरू होगा, जब चंद्रमा पृथ्वी की हल्की छाया (पेनम्ब्रल फेज) में प्रवेश करेगा। आंशिक ग्रहण रात 9:57 बजे शुरू होगा, और पूर्ण ग्रहण रात 11:00 बजे से शुरू होकर 12:22 बजे तक चलेगा। पूरा ग्रहण रात 2:25 बजे समाप्त होगा। कुल अवधि लगभग 5 घंटे 27 मिनट की होगी। पूर्ण चरण के दौरान चंद्रमा गहरे लाल रंग का दिखेगा, जो रेले स्कैटरिंग की वजह से होता है। सूर्य की रोशनी पृथ्वी के वायुमंडल से गुजरते हुए नीले रंग को बिखेर देती है, और लाल रंग चंद्रमा तक पहुंचता है। यह ग्रहण चंद्रमा के पेरिजी (पृथ्वी के सबसे निकट बिंदु) से मात्र 2.6 दिन पहले हो रहा है, इसलिए चंद्रमा थोड़ा बड़ा दिख सकता है, हालांकि ज्यादातर लोगों को यह अंतर नजर नहीं आएगा।

दृश्यता और क्षेत्रीय प्रभाव

यह ग्रहण मुख्य रूप से पूर्वी गोलार्ध में दिखाई देगा। भारत में, यह पूर्ण रूप से दिखेगा, और लोग इसे नंगी आंखों से देख सकते हैं। कोई विशेष उपकरण की जरूरत नहीं है, लेकिन दूरबीन या टेलीस्कोप से बेहतर दृश्य मिल सकता है। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई जैसे शहरों में रात 7:42 बजे के आसपास चंद्रमा उदय होगा, और ग्रहण पहले से ही शुरू हो चुका होगा। केन्या में, यह रात 6:28 बजे से 11:55 बजे तक चलेगा, और नैरोबी में पीक रात 8:30 से 9:53 बजे तक होगा। नाइजीरिया और पश्चिमी अफ्रीका में, यह रात 8:00 बजे WAT से शुरू होगा, और लगोस में पीक रात 7:11 बजे होगा।

दक्षिण अफ्रीका में, जोहानिसबर्ग में ग्रहण शाम 5:28 बजे SAST से शुरू होगा, और पूर्ण चरण शाम 7:30 से 8:52 बजे तक रहेगा। ऑस्ट्रेलिया के पर्थ में, यह रात 11:28 बजे से सुबह 4:55 बजे तक चलेगा। यूरोप में, जैसे लंदन में, ग्रहण चंद्रोदय के समय पहले से चल रहा होगा, और लोग इसे पूर्वी क्षितिज पर देख सकेंगे। मौसम की स्थिति महत्वपूर्ण है; बादल या प्रदूषण दृश्य को प्रभावित कर सकते हैं। शहर की रोशनी से दूर अंधेरी जगहों से बेहतर नजारा मिलेगा।

वैज्ञानिक महत्व और रोचक तथ्य

पूर्ण चंद्रग्रहण तब होता है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीध में आ जाते हैं, और पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है। यह सूर्यग्रहण से अलग है, क्योंकि चंद्रग्रहण रात में होता है और दुनिया के आधे हिस्से से दिखता है। 2025 में यह दूसरा पूर्ण चंद्रग्रहण है; पहला 14 मार्च को हुआ था। अगला पूर्ण चंद्रग्रहण मार्च 2026 में होगा।

यह ग्रहण सितंबर की पूर्णिमा के साथ हो रहा है, जिसे ‘कॉर्न मून’ या ‘हार्वेस्ट मून’ कहा जाता है, क्योंकि यह मकई की फसल के समय होता है। ज्योतिषीय रूप से, कुछ लोग इसे राशियों पर प्रभाव मानते हैं, जैसे मीन राशि में होने से भावनात्मक परिवर्तन। लेकिन वैज्ञानिक रूप से, यह एक सामान्य खगोलीय घटना है। नासा के अनुसार, ग्रहण के दौरान चंद्रमा की सतह का तापमान तेजी से बदलता है, जो चंद्रमा की संरचना का अध्ययन करने में मदद करता है।

लाइव स्ट्रीम और सावधानियां

यदि आप बाहर नहीं जा सकते, तो कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर लाइव स्ट्रीम उपलब्ध हैं। टाइम एंड डेट, स्पेस.कॉम और यूट्यूब चैनल जैसे WION, NASA या ARIES Nainital पर देखें। भारत में, आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेज (ARIES) शाम 8:45 बजे IST से लाइव स्ट्रीम करेगा। दक्षिण अफ्रीका में, लोकल साइंस सेंटर जैसे बार्धमान साइंस सेंटर में विशेष कार्यक्रम होंगे।

सावधानी: चंद्रग्रहण देखना सुरक्षित है, लेकिन अगर आप टेलीस्कोप इस्तेमाल कर रहे हैं, तो सूर्य की रोशनी से सावधान रहें। कुछ संस्कृतियों में, जैसे इस्लाम में, ग्रहण के समय विशेष प्रार्थना (सलात अल-खुसूफ) की जाती है। हिंदू परंपरा में, कुछ लोग ग्रहण के दौरान भोजन से परहेज करते हैं, लेकिन यह व्यक्तिगत विश्वास पर निर्भर है।

यह ग्रहण न केवल खगोल प्रेमियों के लिए, बल्कि सामान्य लोगों के लिए भी एक यादगार घटना होगी। अगली बार ऐसा नजारा 2028 तक नहीं मिलेगा। तो आज रात आकाश की ओर नजर रखें और इस ब्रह्मांडीय नाटक का आनंद लें!

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