बिलासपुर। अधिवक्ता सुधा भारद्वाज की मेडिकल आधार पर अंतरिम जमानत याचिका खारिज आज मुम्बई हाईकोर्ट ने ख़ारिज कर दी। जमानत नहीं मिलने पर बिलासपुर में उनसे जुड़े सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अफसोस जताया है।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ्तार किए गए कार्यकर्ताओं में से एक सुधा भारद्वाज की जमानत याचिका को खारिज कर दी। भारद्वाज ने जेलों में कोविड -19 के प्रकोप को देखते हुए चिकित्सा आधार पर दायर की थी। अदालत ने कहा कि राज्य बीमारियों के लिए जेल में चिकित्सा सहायता प्रदान करता रहेगा। भारद्वाज मुंबई के बाइकुला महिला जेल में बंद है।
भारद्वाज ने विशेष आधार पर एनआईए की अदालत द्वारा मेडिकल आधार पर उसकी अंतरिम जमानत याचिका खारिज करने के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष अपील दायर की थी।
जस्टिस आर डी धानुका और वी जी बिष्ट की खंडपीठ के समक्ष याचिकाकर्ता के वकील ने शुक्रवार को जेल की ओर से राज्य सरकार द्वारा पेश की गई रिपोर्ट का खंडन किया गया जिसमें कहा गया था कि भारद्वाज की जेल में की गई चिकित्सकीय जांच में स्थिति संतोषजनक पाई गई।
मंगलवार को उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को आदेश दिया था कि वह भारद्वाज, आनंद तेलतुम्बडे और वर्नोन गोंसाल्वेस की नवीनतम चिकित्सा रिपोर्टों की प्रतियाँ उपलब्ध कराएं, जो यलगार परिषद् मामले में आरोपी हैं। अदालत ने माना था कि आरोपियों और उनके परिवारों को अपने स्वास्थ्य के बारे में जानने का अधिकार है और बिना किसी देरी के रिपोर्ट दी जानी चाहिए।
अधिवक्ता रागिनी आहूजा ने कहा कि भारद्वाज को मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी पुरानी बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। इस समय कोविड-19 के सामुदायिक प्रसार के कारण उन्हें जेल में जोखिम का सामना करना पड़ सकता है। आहूजा ने अदालत को बताया कि 23 जुलाई और 21 अगस्त के बीच भारद्वाज की मेडिकल रिपोर्ट में विरोधाभास था। जुलाई की मेडिकल रिपोर्ट में कहा गया था कि उसके महत्वपूर्ण पैरामीटर उसकी ह्रदय में जलन है, लेकिन अगस्त की रिपोर्ट में कहा गया कि महत्वपूर्ण पैरामीटर सामान्य है। इसमें हृदय का कोई उल्लेख नहीं था। याचिकाकर्ता की ओर से वकील ने कहा कि दोनों रिपोर्ट एक-दूसरे के विपरीत हैं तथा 21 अगस्त को दर्ज रिपोर्ट फर्जी हो सकती है। एक व्यक्ति केवल चार सप्ताह में दिल की बीमारी से पूरी तरह से कैसे उबर सकता है? उन्होंने कहा कि नवीनतम रिपोर्ट ‘असंगत’ है। भारद्वाज को मौजूदा परिस्थितियों में उचित उपचार की आवश्यकता है इसलिए चिकित्सा आधार पर अंतरिम जमानत दी जाये।
दूसरी ओर एनआईए के लिए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह और राज्य सरकार के लिए लोक अभियोजक दीपक ठाकरे ने अदालत को बताया कि यदि भारद्वाज को आगे के उपचार की आवश्यकता होती है और किसी निजी अस्पताल में भी भर्ती होने की आवश्यकता होती है, तो अधिकारी यह सुविधा प्रदान करेंगे। सिंह ने कहा कि सह-अभियुक्त वरवारा राव को जेजे अस्पताल में भर्ती कराया गया था और फिर कोविड -19 और अन्य बीमारियों के बेहतरीन इलाज के लिए निजी नानावती अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया था। न्यायालय ने एनआईए और राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत किए गए उल्लेखों को भी नोट किया कि वे कोविड -19 को जेलों में फैलने से रोकने के लिए सभी सावधानी बरत रहे हैं।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद पीठ ने कहा कि वर्तमान चिकित्सा रिपोर्ट ने कोविड -19 के संबंध में भारद्वाज की सभी आशंकाओं का समाधान किया गया है। मेडिकल रिपोर्ट में विसंगतियों के लिए अपीलकर्ता के प्रस्तुतिकरण में कोई आधार दिखाई नहीं देता है।
पीठ ने चिकित्सा आधार पर अंतरिम जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि हमारे विचार में, जमानत देने के लिए कोई मामला नहीं बनता है।
ज्ञात हो कि कल ही भारद्वाज की बेटी मायशा भारद्वाज ने कहा था कि उनकी मां में ह्रदयरोग का खतरा पैदा हो चुका है जो जेल जाने से पहले नहीं था।
भारद्वाज के परिवार को दी गई 23 जुलाई की जेल की मेडिकल रिपोर्ट में कहा गया है कि वह इस्केमिक हार्ट डिजिस से पीड़ित हैं। मायशा ने बुधवार को जारी एक प्रेस नोट में कहा था कि हृदय की धमनियों के संकुचित होने की वजह से हृदय की मांसपेशियों में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है और दिल का दौरा पड़ सकता है। डॉक्टरों ने आगाह किया है कि वे कभी भी गंभीर स्थिति का सामना कर सकती हैं और उन्हें दिल का दौरा पड़ सकता है। जेल की मेडिकल रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया कि उनके ह्रदय की बीमारी कब और कैसे ठीक हुई।
ज्ञात हो कि एक जनवरी 2018 को भीमा कोरेगांव हिंसा में माओवादियों के साथ कथित संलिप्तता को लेकर भारद्वाज को 11 अन्य लोगों के साथ गिरफ्तार किया गया था।
बिलासपुर जो सुधा भारद्वाज की गतिविधियों का केन्द्र रहा है उनके सम्पर्क में रहने वालों ने जमानत नहीं मिलने पर अफसोस जताया है। अधिवक्ता प्रियंका शुक्ला ने कहा कि कोर्ट में अंतरिम जमानत की याचिका पर सुनवाई किसी न किसी वजह से टलती रही और आज उनको राहत नहीं मिल सकी। प्रो. अनुपमा सक्सेना ने कहा है कि सुधा भारद्वाज को गिरफ़्तार हुए दो वर्ष हो गए। फ़िल्मों की चकाचौंध वाली दुनिया, गलाकाट स्पर्धा वाली दुनिया, ड्रग, काले धनवाली दुनिया की एक कहानी के नायक की मृत्यु का कारण जानने के लिए 24 घंटे अनवरत कवरेज देने वाले मीडिया के लिए ग़रीबों आदिवासियों के लिए विश्व के सबसे शानदार कैरिअर के मौक़े को एक पल सोचे बिना छोड़ देने वाली सुधा अगर न्यूज़ का हिस्सा नहीं बनती तो मीडिया के साथ साथ इस देश की बहुसंख्य जनता की प्राथमिकताओं पर दुःख होता है।