बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के चर्चित आईपीएस मुकेश गुप्ता और आईपीएस रजनीश सिंह के खिलाफ बिलासपुर में एफआईआर दर्ज होने की खबर आ रही है। बताया जा रहा है कि दोनों अफसरों के उपर षडयंत्र समेत कई आरोप लगाए गए हैं सूत्रों का दावा है कि बिलासपुर एसपी प्रशांत अग्रवाल की मौजूदगी में एफआईआर दर्ज की गई है। आपको बता दें कि इससे पहले भी सीनियर आईपीएस मुकेश गुप्ता विवादित रहे हैं। उन्हें सरकार ने निलंबित भी किया। इस बार मुकेश गुप्ता के साथ साथ आईपीएस रजनेश सिंह के खिलाफ भी एफआईआर की खबर है।

 

इन धाराओं में एफआईआर दर्ज

बता दें कि साल 2014 में जल संसाधन विभाग के कार्यपालन अभियंता (ईई) आलोक अग्रवाल के ठिकानों पर पड़े एसीबी के छापे से जुड़ी खबर आई है। ईई के भाई पवन अग्रवाल द्वारा सीजेएम कोर्ट में प्रस्तुत परिवाद पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। कोर्ट के आदेश के बाद बिलासपुर के सिविल लाइन थाने में एफआईआर दर्ज कर ली गई है। पुलिस ने इस मामले में आईपीसी की धारा 120 बी, 166, 167, 213, 218, 380, 382,409, 420, 467, 468, 471, 472 के तहत अज्ञात लोगों के खिलाफ अपराध कायम किया है।

2014 में अग्रवाल बंधुओं के घर पर छापा मारा था

दरअसल मामला जल संसाधन विभाग के ईई रहे आलोक अग्रवाल और उनके भाई पवन अग्रवाल के विरूद्ध एसीबी की कार्रवाई से जुड़ा है। एसीबी ने 30 दिसंबर 2014 को अग्रवाल बंधुओं के घर पर छापा मारा था। इस छापे में करोड़ों रूपए की बेनामी संपत्ति का खुलासा किया गया था। साल 2010 से लेकर 2013 के बीच हुए भ्रष्टाचार की शिकायत को आधार मानकर एसीबी ने अपराध दर्ज किया था।

सीजेएम कोर्ट में परिवाद प्रस्तुत किया था

पवन अग्रवाल ने इस मामले में एसीबी/ईओडब्ल्यू के अधिकारियों के विरूद्ध अपराध दर्ज करने 156 (3) के तहत सीजेएम कोर्ट में परिवाद प्रस्तुत किया था। परिवाद में यह दलील दी गई थी कि सर्च वारंट में अपराध नंबर दर्ज नहीं था, जबकि सर्च वारंट में आलोक अग्रवाल के विरूद्ध एसीबी में अपराध दर्ज होने की बात कही गई थी।

प्रस्तुत परिवाद में पवन अग्रवाल ने बताया कि उनके भाई आलोक अग्रवाल जल संसाधन विभाग में ईई के पद पर कार्यरत रहे, लेकिन उनके द्वारा संबंधित कार्य क्षेत्र में किसी तरह का काम नहीं किया गया। दोनों का कार्य क्षेत्र अलग था। दोनों भाई कभी साथ नहीं रहे। न ही एक-दूसरे पर आश्रित रहे।

ये था पूरा मामला

बावजूद इसके एसीबी की टीम ने छापे के दौरान न केवल उनके घर दबिश दी, बल्कि उनके द्वारा अर्जित की गई संपत्ति के दस्तावेज, सोना-चांदी, नगदी रकम, इंश्योरेंस के दस्तावेज जब्त किए गए। सीजेएम कोर्ट ने पुलिस को दिए आदेश में कहा है कि एफआईआर दर्ज कर इस प्रकरण में संपूर्ण विवेचना की जाए। विवेचना उपरांत अंतिम प्रतिवेदन/खात्मा/खारिजी जो भी हो, कोर्ट में प्रस्तुत किया जाए

इस मामले में बिलासपुर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कोर्ट के आदेश पर प्रकरण दर्ज कर जांच में लिया गया है, जिन लोगों की भूमिका सामने आएगी, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी

निलंबित आईपीएस मुकेश गुप्ता थे एसीबी चीफ़

जिस वक्त जल संसाधन विभाग के ईई आलोक अग्रवाल के ठिकानों पर छापे डाले गए थे, तब निलंबित आईपीएस अधिकारी मुकेश गुप्ता एसीबी चीफ थे, लिहाजा बिलासपुर पुलिस की जांच का दायरा मुकेश गुप्ता तक जा सकता है।

परिवाद पत्र में एसीबी के अधिकारी विजय कटरे के हवाले का जिक्र करते हुए कहा गया है कि यह पूरी कार्रवाई तत्कालीन एडीजी और एसीबी चीफ रहे मुकेश गुप्ता और तत्कालीन एसपी रजनीश सिंह के मौखिक निर्देश के बाद की गई थी। ऐसे में जाहिर है पहले से ही निलंबित मुकेश गुप्ता और रजनीश सिंह की मुश्किलें इस मामले में और बढ़ सकती है। राज्य पुलिस के आला अधिकारी इस बात के संकेत दे रहे हैं।

सीजेएम बिलासपुर ने आदेश देते हुए ये लिखा

सीजेएम बिलासपुर ने इस परिवाद को पंजीबद्ध कर आदेश देते हुए लिखा है कि परिवादी के द्वारा पुलिस अधीक्षक राज्य आर्थिक अन्वेषण ब्यूरो से जांच कराए जाने का निवेदन किया गया है,किंतु प्रस्तुत परिवाद में आर्थिक अपराध के अपराध किए जाने के संबंध में परिवाद में उल्लेख नहीं किया गया है, और ना ही ऐसा कोई दस्तावेज पेश किया गया है

ऐसी स्थिति में प्रस्तुत परिवाद की जांच पुलिस अधीक्षक राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो रायपुर से कराये जाने की आवश्यकता दर्शित नहीं होती। बल्कि इस न्यायालय के सुनवाई क्षेत्राधिकार में स्थित थाना सिविल लाईंस से कराया जाना उचित प्रतीत होता है।

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