हर सड़क पर कब्जा, दुर्घटनाओं के कारण राहगीर और मवेशी दोनों हताहत हो रहे
रायपुर रोड पर तिफरा से लेकर छतौना बाइपास पर हर दिन कोई न कोई दुर्घटना हो रही है, सिर्फ सड़कों पर बैठे मवेशियों के कारण। देर रात तेज रफ्तार में चलने वाले ट्रकों की चपेट में आकर कोई न कोई गाय-भैंस अपनी जान गवां बैठता है। दोपहिया सवार यात्री बुरी तरह घायल भी हो रहे हैं।
सड़कों पर बैठे आवारा जानवर शहर की ट्रैफिक के लिए एक बड़ी समस्या बन चुकी है। न केवल रायपुर रोड, बल्कि मस्तूरी रोड, रतनपुर रोड, सीपत रोड में भी इसी तरह गाय-बैल सड़कों पर जमे रहते हैं। दिन में वाहन चालक इनसे किसी तरह बच भी ले लेकिन सीवरेज, बारिश, कीचड़ और अंधेरे से घिरी सड़कों पर रात में चलना काफी मुश्किल हो गया है। शहर के व्यापार विहार रोड, उसलापुर रोड, श्रीकांत वर्मा मार्ग, सरकंडा आदि में भी यही नजारा दिखाई देता है।
नगर-निगम की सीमा के भीतर बीच-बीच में इन पशुओं की धर-पकड़ की जाती है पर उन्हें अन्यत्र ले जाकर छोड़ दिया जाता है। कांजी हाउस में भी जगह नहीं रहती है। कभी कांजी हाउस ले जाया भी गया तो 500 रुपए जुर्माना लेकर उन्हें छोड़ दिया जाता है। नगर पंचायत और नगर पालिकाओं का भी यही हाल है। हाल ही में रतनपुर के नाराज लोगों ने सारे मवेशियों को घेरकर पकड़ा था और नगर पालिका परिसर में ले जाकर बंद कर दिया था।
सड़क पर जितने भी पशुओं को घूमते देखा जाता है उनमें अधिकांश शारीरिक रुप से कमजोर होते हैं। इन पशुओं को खाने के लिए सही तरीके से चारा नहीं मिल पाने की वजह से यह ज्यादातर कचरों में से सामान खाती हैं तथा मवेशी का मालिक भी इन्हें अपने पास नहीं रखना चाहता। इनमें ज्यादातर संख्या गायों की है।
मृत मवेशियों के कारण सड़कों पर यातायात बाधित तो होता ही है, इसके आसपास रहने वाले लोग बदबू से परेशान रहते हैं। बिलासपुर से रतनपुर मार्ग पर ही रोजाना दो तीन पशुओं को मृत देखा जा सकता है। इस गंभीर समस्या की ओर शासन-प्रशासन या गौ रक्षकों का ध्यान ही नहीं है।