मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में आज यह स्पष्ट करने का प्रयास किया कि चुनाव आयोग निष्पक्ष, पारदर्शी और संवैधानिक तरीके से काम कर रहा है। उन्होंने विपक्ष से संयम बरतने और सबूतों के साथ अपनी शिकायतें दर्ज करने की अपील की। यह प्रेस कॉन्फ्रेंस बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची को लेकर चल रहे विवाद को शांत करने का एक प्रयास था।

नई दिल्ली। भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में विपक्ष द्वारा लगाए गए ‘वोट चोरी’ के आरोपों पर कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने इन आरोपों को पूरी तरह से निराधार और भ्रामक करार दिया, और कहा कि चुनाव आयोग निष्पक्षता और पारदर्शिता के साथ सभी मतदाताओं के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। यह प्रेस कॉन्फ्रेंस बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस और ‘इंडिया’ गठबंधन, द्वारा उठाए गए सवालों के जवाब में आयोजित की गई थी।

वोट चोरी के आरोपों पर सफाई

ज्ञानेश कुमार ने कहा कि ‘वोट चोरी’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल करके कुछ नेता जनता को गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने इसे संविधान का अपमान बताया और कहा, “कानून के अनुसार, अगर समय रहते मतदाता सूची में त्रुटियां साझा नहीं की जातीं, या 45 दिनों के भीतर उच्च न्यायालय में चुनाव याचिका दायर नहीं की जाती, तो ऐसे आरोप लगाना गलत है।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कुछ लोगों ने दोहरे मतदान के आरोप लगाए, लेकिन जब सबूत मांगे गए, तो कोई ठोस प्रमाण नहीं दिया गया।

सीईसी ने जोर देकर कहा, “चुनाव आयोग के कंधे पर बंदूक रखकर भारत के मतदाताओं को निशाना बनाकर राजनीति की जा रही है। हम निडरता के साथ सभी गरीब, अमीर, बुजुर्ग, महिला, युवा और सभी धर्मों के मतदाताओं के साथ चट्टान की तरह खड़े थे, खड़े हैं और खड़े रहेंगे।”

एसआईआर प्रक्रिया और पारदर्शिता

बिहार में चल रही विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया पर बोलते हुए, ज्ञानेश कुमार ने कहा कि इसका उद्देश्य मतदाता सूची में गलतियों को सुधारना और इसे और सटीक बनाना है। उन्होंने बताया कि कुछ दल इस प्रक्रिया को लेकर भ्रामक सूचनाएं फैला रहे हैं, जो गंभीर चिंता का विषय है। “एसआईआर के तहत मतदाता सूची को पारदर्शी तरीके से सुधारा जा रहा है। अगर किसी को कोई आपत्ति है, तो वे 15 दिन के भीतर दावे और आपत्तियां दर्ज करा सकते हैं। आयोग के दरवाजे सभी के लिए खुले हैं,” उन्होंने कहा।

उन्होंने यह भी बताया कि बूथ स्तर के अधिकारी और एजेंट पूरी पारदर्शिता के साथ काम कर रहे हैं। “लोकसभा चुनाव में एक करोड़ से अधिक कर्मचारी, 10 लाख से अधिक बूथ लेवल एजेंट्स और 20 लाख से अधिक प्रत्याशियों के पोलिंग एजेंट्स शामिल होते हैं। इतनी पारदर्शी प्रक्रिया में वोट चोरी का सवाल ही नहीं उठता,” सीईसी ने कहा।

सभी दलों के लिए समानता

ज्ञानेश कुमार ने इस बात पर जोर दिया कि चुनाव आयोग सभी राजनीतिक दलों के लिए समान है और किसी के साथ भेदभाव नहीं करता। उन्होंने कहा, “हर राजनीतिक दल का पंजीकरण चुनाव आयोग के माध्यम से होता है। ऐसे में पक्षपात का सवाल ही नहीं उठता।” उन्होंने यह भी कहा कि पिछले दो दशकों से दल मतदाता सूची में सुधार की मांग करते रहे हैं, और इसी कारण बिहार में एसआईआर शुरू किया गया है।

राहुल गांधी के आरोपों पर जवाब

कांग्रेस नेता राहुल गांधी और अन्य विपक्षी नेताओं द्वारा लगाए गए आरोपों का जवाब देते हुए, सीईसी ने कहा कि आयोग ने उनसे उन मतदाताओं के नाम और हस्ताक्षरित शपथ-पत्र मांगे थे, जिन्हें कथित तौर पर मतदाता सूची से गलत तरीके से जोड़ा या हटाया गया। लेकिन कोई ठोस सबूत नहीं दिया गया। “ऐसे निराधार आरोपों से न तो चुनाव आयोग डरता है और न ही कोई मतदाता,” उन्होंने कहा।

उन्होंने यह भी पूछा, “क्या हम मृत मतदाताओं, पलायन कर चुके मतदाताओं या फर्जी मतदाताओं को वोट डालने दें? क्या यह लोकतंत्र की हत्या नहीं होगी?” सीईसी ने स्पष्ट किया कि 30 सितंबर तक गैर-भारतीय नागरिकों के नाम मतदाता सूची से हटा दिए जाएंगे।

रीडेबल मतदाता सूची और सीसीटीवी फुटेज पर बयान

विपक्ष द्वारा मतदाताओं की तस्वीरें और सीसीटीवी फुटेज की मांग पर ज्ञानेश कुमार ने कहा कि मशीन रीडेबल मतदाता सूची और सीसीटीवी फुटेज से मतदाताओं की निजता का हनन हो सकता है। “क्या हम किसी की मां-बहन की सीसीटीवी फुटेज सार्वजनिक कर सकते हैं?” उन्होंने सवाल उठाया।

निष्पक्ष चुनाव और लोकतंत्र की मजबूती

ज्ञानेश कुमार ने भारत के संविधान को लोकतंत्र की जननी बताते हुए कहा कि निष्पक्ष चुनाव और शुद्ध मतदाता सूची एक मजबूत लोकतंत्र की नींव हैं। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों और नागरिकों से इस पर गंभीरता से विचार करने की अपील की। “हमारा उद्देश्य हर 18 वर्ष से अधिक उम्र के भारतीय नागरिक को मतदान का अधिकार देना है। हम किसी भी दबाव में नहीं झुकेंगे,” उन्होंने कहा।

विपक्ष का विरोध

बिहार में एसआईआर को लेकर कांग्रेस और ‘इंडिया’ गठबंधन ने ‘वोटर अधिकार यात्रा’ शुरू की है। विपक्षी दलों ने संसद भवन परिसर में भी प्रदर्शन किया, जिसमें ‘एसआईआर- लोकतंत्र पर वार’ जैसे नारे लगाए गए। लेकिन चुनाव आयोग ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि यह केवल राजनीतिक स्टंट है।

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