पूर्व विधायक पांडेय ने बढ़ा शुल्क वापस लेने की मांग की

बिलासपुर। नगर निगम की ओर से संचालित पंडित शिव दुलारे मिश्र सेंट्रल लाइब्रेरी की फीस में दोगुनी से अधिक वृद्धि को लेकर छात्रों ने गेट पर बैठकर किताबें खोलकर विरोध प्रदर्शन किया। छात्रों का कहना है कि यह वृद्धि न केवल अनुचित है बल्कि उनके आर्थिक बोझ को भी बढ़ाती है।

दो गुना से ज्यादा बढ़ गई फीस

तीन साल पहले नगर निगम ने यह सुविधा शुरू की थी, ताकि प्राइवेट लाइब्रेरी की महंगी फीस से प्रतियोगी परीक्षार्थियों को राहत मिले। तब युवाओं को बुला-बुलाकर एडमिशन दिया जा रहा था और फीस 300 रुपये रखी गई थी। फिर बाद में बढ़ाकर 500 रुपये कर दिया गया। अब अचानक बढ़ाकर 14 घंटे के सेशन के लिए 1100 रुपये महीना कर दिया गया है, जबकि 7-7 घंटे की पाली में दो शिफ्ट करने पर यही फीस 750-750 कर दी गई है। यानी लगभग तीन गुना बढ़ गई है। इतना ही नहीं छात्रों को फीस पर 18 प्रतिशत जीएसटी भी देना होगा।

बीपीएल पर भी मार पड़ी

बीपीएल (आर्थिक कमजोर वर्ग) को 300 रुपये में प्रवेश मिलता था, लेकिन अब उनकी दी गई छूट खत्म की जा रही है। नए एडमिशन लाइब्रेरी में जगह नहीं होने के बावजूद लिए जा रहे हैं, जिनसे ज्यादा शुल्क लेना शुरू कर दिया गया है। इसकी कोई विधिवत सूचना जारी नहीं की गई है।

सुविधाओं की ओर ध्यान नहीं

ग्राउंड फ्लोर में एक लाइब्रेरी हॉल 3 साल से तैयार है, उसे नहीं खोला जा रहा है। कम जगह में अधिक लोगों को बिठाया जा रहा है। यहां सुविधाओं की तरफ ध्यान नहीं है। कई पंखे और एसी बंद हैं। लाइट की रोशनी पर्याप्त नहीं है।

शैलेश पांडेय की प्रतिक्रिया

शहर के पूर्व विधायक शैलेश पांडेय ने फीस बढ़ाने के फैसले की आलोचना करते हुए कहा, “पंडित शिव दुलारे मिश्र सेंट्रल लाइब्रेरी की फीस दुगने से भी ज्यादा करना गलत है। अपना भविष्य संवारने के लिए गरीब, निम्न-मध्यम वर्ग के बच्चों पर नगर निगम बोझ डाल रही है। बिलासपुर में सरकार के पढ़ाई के लैंडमार्क चाहे स्वामी आत्मानंद स्कूल हो या सेंट्रल लाइब्रेरी, सभी पर बीजेपी सरकार की कुदृष्टि है। कांग्रेस की सरकार के समय बनी सेंट्रल लाइब्रेरी, जो कि पंडित शिव दुलारे मिश्र जी के नाम पर बनी है, वह बिलासपुर के प्रथम विधायक थे और बीजेपी सरकार उनके नाम को बदनाम कर रही है।”

शैलेश पांडेय ने आगे कहा, “नगर निगम से मांग करता हूं कि लाइब्रेरी के शुल्क में वृद्धि को वापस ले और छात्र हित में फैसला करे।”

लाइब्रेरी की फीस में इस असामान्य वृद्धि ने छात्रों के बीच काफी नाराजगी फैला दी है और वे इस निर्णय के खिलाफ एकजुट दिखाई दे रहे हैं।

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