बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) ने 30 साल पुराने आय से अधिक संपत्ति के एक चर्चित मामले में आखिरकार आरोप पत्र दाखिल कर दिया है। हैरानी यह है कि इस केस में आरोपी अधिकारी अब 82 वर्ष के हो चुके हैं और काफी पहले रिटायर हो चुके हैं।
EOW ने यह चालान बिलासपुर स्थित विशेष भ्रष्टाचार निवारण न्यायालय में पेश किया है। मामला है तत्कालीन अविभाजित मध्यप्रदेश के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम में संयुक्त संचालक रहे डीडी भूतड़ा के खिलाफ, जिन पर 1995 में भोपाल में मामला दर्ज किया गया था। जांच की जिम्मेदारी रायपुर स्थित आर्थिक अपराध शाखा को दी गई थी।
छापे में मिला ‘खजाना’
13 सितंबर 1995 को भूतड़ा के बिलासपुर स्थित आवास और अन्य परिसरों पर EOW ने छापा मारा था। उस दौरान विभाग को चावल की एक मिल, कई प्लॉट, जमीनें, सोना-चांदी और लगभग 5 लाख रुपये नकद बरामद हुए थे। जांच में यह सामने आया कि भूतड़ा के पास उनकी ज्ञात आय से तीन गुना अधिक संपत्ति है।
सवालों के घेरे में EOW की कार्यप्रणाली
EOW की इस देरी भरी कार्रवाई पर अब सवाल उठने लगे हैं। क्या जांच एजेंसियों को आरोप पत्र दाखिल करने में वाकई तीन दशक लगने चाहिए? क्या इतने लंबे समय बाद भी न्याय की उम्मीद की जा सकती है?
राज्य गठन के पहले यह मामला मध्यप्रदेश के तहत था, लेकिन छत्तीसगढ़ बनने के 24 साल बाद अब जाकर इस पर अंतिम चालान कोर्ट में पेश हुआ है।
EOW अधिकारियों का कहना है कि यह अंतिम आरोप पत्र है और अब न्यायिक प्रक्रिया के अनुसार आगे की कार्रवाई होगी।
क्या अब होगा इंसाफ?
तीन दशक पुराने इस मामले में अब कानूनी प्रक्रिया तेज होने की उम्मीद जताई जा रही है। लेकिन सवाल यही है कि क्या इतने लंबे इंतजार के बाद भी इस अफसर को सजा मिल पाएगी या यह मामला सिर्फ फाइलों में दर्ज एक और किस्सा बनकर रह जाएगा?
फिलहाल, 82 साल के डीडी भूतड़ा के खिलाफ दाखिल इस चालान ने पुराने मामलों की धीमी जांच व्यवस्था पर फिर से बहस छेड़ दी है।