चीफ जस्टिस ने दूसरी बार किया छंटनी के काम का आकस्मिक निरीक्षण
बिलासपुर। ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान हाईकोर्ट में औचित्यहीन मुकदमों की पहचान कर उनका भौतिक सत्यापन किया जा रहा है ताकि पक्षकार व्यर्थ की मुकदमेबाजी से बच सकें।
सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे लंबित मामलों को चिन्हांकित करने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट में ऐसे प्रकरणों की पहचान करने की प्रणाली विकसित की गई है। इन लंबित प्रकरणों की भी सुनवाई की जाएगी और उनका निराकरण किया जाएगा।
हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने निर्देश दिया है कि रिट, क्रिमिनल अपील, क्रिमिनल रिवीजन, अवमानना और अन्य औचित्यहीन लंबित प्रकरणों को सूचीबद्ध किया जाए। प्रकरणों का भौतिक सत्यापन जिला न्यायालय बिलासपुर, रायपुर, दुर्ग, छत्तीसगढ़ राज्य न्यायिक अकादमी में पदस्थ न्यायिक अधिकारी तथा उच्च न्यायालय स्थापना के अधिकारी कर्मचारी कर रहे हैं। उक्त कार्रवाई के 15 दिन गुरुवार को पूरा होने पर चीफ जस्टिस सिन्हा ने रिट, सिविल व क्रिमिनल शाखा में जाकर चिन्हांकन के कार्यों का आकस्मिक निरीक्षण किया। उन्होंने न्यायिक विभाग व रजिस्ट्री के अधिकारियों से चर्चा कर उनका मार्गदर्शन किया। चीफ जस्टिस के निर्देश पर निराकृत प्रकरणों की स्कैनिंग के बाद उनका भौतिक सत्यापन भी किया जा रहा है। इसका भी वीडियो कांफ्रेंस कर चीफ जस्टिस ने औचक निरीक्षण किया और प्रकरणों के डिजिटल माध्यम से दीर्घ अवधि तक सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक दिशानिर्देश दिया। इसके पहले 13 मई को भी चीफ जस्टिस ने इन कार्यों का आकस्मिक निरीक्षण किया था।