बिलासपुर। जिला एवं सत्र न्यायालय दुर्ग में स्टेनोग्राफर को गोपनीयता भंग करने और अनुशासनहीनता के आरोप में बर्खास्त किया गया था। इस निर्णय के खिलाफ स्टेनोग्राफर ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने जिला जज के आदेश को निरस्त कर दिया है और याचिकाकर्ता को 50 प्रतिशत बकाया वेतन देने के साथ बहाल करने का आदेश दिया है।

सीजे की बेंच का फैसला

याचिका की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस पीपी साहू की डिवीजन बेंच में हुई। सुनवाई के बाद बेंच ने दुर्ग न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया और याचिकाकर्ता को सेवा में पुनः बहाल करने और बकाया वेतन का 50 प्रतिशत भुगतान करने का आदेश दिया।

दुर्व्यहार का आरोप

दिशान सिंह डहरिया ने अपनी बर्खास्तगी के आदेश को चुनौती देते हुए कहा कि उन्हें जिला एवं सत्र न्यायालय दुर्ग में अन्य 11 उम्मीदवारों के साथ हिंदी आशुलिपिक के पद पर नियुक्त किया गया था। आरोप था कि उन्होंने अपने अधिकारी के साथ दुर्व्यवहार किया और नोटिस की फोटोकॉपी सीधे छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल कार्यालय को भेजी।

याचिकाकर्ता का पक्ष

याचिकाकर्ता ने कहा कि शिकायत की एक प्रति संगठन के पदाधिकारी के पास थी, जिसने इसे उसकी जानकारी के बिना संगठन के व्हाट्सएप ग्रुप में वायरल कर दिया। उन्होंने यह भी बताया कि बर्खास्तगी का आदेश बिना जांच के जारी किया गया जो संविधान के अनुच्छेद 311 का उल्लंघन है।

कोर्ट का निर्णय

डिवीजन बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता को एक समिति की सिफारिश पर दो वर्ष की परिवीक्षा अवधि के लिए नियुक्त किया गया था, और संतोषजनक प्रदर्शन के बाद ही उनकी नियुक्ति की पुष्टि होनी चाहिए थी। इसलिए, सक्षम प्राधिकारी द्वारा सेवाओं की आवश्यकता न होने का आधार देते हुए नौकरी से हटाया नहीं जा सकता। कोर्ट ने  कर्माचारी को बहाल करते हुए आदेश दिया कि याचिकाकर्ता को 50 प्रतिशत बकाया वेतन का भुगतान किया जाए।

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