बिलासपुर। कोल लेवी वसूली मामले में राज्य प्रशासनिक सेवा की निलंबित अधिकारी और पूर्व मुख्यमंत्री की उपसचिव रह चुकी सौम्या चौरसिया की जमानत अर्जी को हाईकोर्ट ने तीसरी बार खारिज कर दिया है। यह निर्णय हाईकोर्ट के जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास की बेंच ने सुनाया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के पूर्व निर्णयों और जमानत के प्रावधानों का हवाला दिया गया था।

जमानत के लिए दी गई दलीलें
सौम्या चौरसिया की जमानत याचिका में सुप्रीम कोर्ट के उन आदेशों का उल्लेख किया गया था, जिनमें कोयला घोटाला मामले के सह-आरोपी सुनील अग्रवाल और रानू साहू को जमानत दी गई थी। इसके साथ ही, याचिका में यह भी दलील दी गई कि सौम्या के छोटे बच्चे हैं और प्रकरण की सुनवाई में लंबा समय लग सकता है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने डेढ़ साल से जेल में बंद रहने का भी हवाला दिया।

कोर्ट ने तर्क खारिज किया 
कोर्ट ने मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया। जस्टिस व्यास ने सौम्या चौरसिया की जमानत अर्जी को खारिज करते हुए उनकी ओर से दिए गए तर्कों को स्वीकार नहीं किया। इस निर्णय की पुष्टि राज्य के उप महाधिवक्ता और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के विशेष लोक अभियोजक डॉ. सौरभ कुमार पांडेय ने की।

मामला क्या है?
सौम्या चौरसिया को दिसंबर 2022 में ईडी द्वारा कोयला घोटाला और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद उनकी जमानत अर्जी को जून 2023 में हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने भी दिसंबर 2023 में उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी थी और शपथ पत्र में गलत जानकारी देने पर एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया था।

ईडी की कार्रवाई
ईडी ने छत्तीसगढ़ में कथित कोयला घोटाले के तहत 500 करोड़ रुपए की अवैध उगाही की जांच करते हुए मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था। इस प्रकरण में सौम्या चौरसिया के अलावा, निलंबित आईएएस समीर बिश्नोई और सूर्यकांत तिवारी का भी नाम शामिल है, जिनकी जमानत अर्जी रायपुर कोर्ट में विचाराधीन है।

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