2020-2022 की परीक्षाओं में भारी गड़बड़ी, सीबीआई कर रही जांच
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ राज्य लोक सेवा आयोग (CGPSC) में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के आरोपों में फंसे आयोग के पूर्व अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी को राहत नहीं मिली है। हाईकोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी है। यह फैसला न्यायमूर्ति बीडी गुरु की एकल पीठ ने सुनाया। कोर्ट ने 17 अप्रैल को मामले की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा था, जिसे आज जारी किया गया।
भर्ती प्रक्रिया में भारी धांधली के आरोप
CGPSC की 2020 और 2021 की परीक्षाओं को लेकर धांधली के गंभीर आरोप लगे हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेता ननकीराम कंवर ने इस मामले में हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि चयन प्रक्रिया में बड़े स्तर पर अनियमितता हुई है और आयोग ने नेताओं, अधिकारियों और प्रभावशाली कारोबारियों के रिश्तेदारों को अनुचित तरीके से चयनित किया है। उन्होंने इस संबंध में चयनित अभ्यर्थियों की सूची भी कोर्ट को सौंपी थी।
सीबीआई कर रही जांच, कई आरोपी जेल में
घोटाले की गंभीरता को देखते हुए जांच की जिम्मेदारी CBI को सौंपी गई है। सीबीआई ने नवंबर 2024 में टामन सिंह सोनवानी को सरगुजा जिले में उनके गांव से गिरफ्तार किया था। उस वक्त वे मैनपाट स्थित अपने फार्म हाउस जा रहे थे।
गिरफ्तारी के बाद से टामन सिंह सोनवानी, नितेश सोनवानी और पूर्व डिप्टी एग्जाम कंट्रोलर ललित गनवीर न्यायिक हिरासत में हैं।
बता दें कि 2019 से 2022 तक की CGPSC भर्तियों में गड़बड़ी को लेकर लगातार विवाद चल रहा है। EOW और अर्जुंदा पुलिस ने भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के आरोप में कई मामलों में एफआईआर दर्ज की है। 2020 में 175 और 2021 में 171 पदों पर परीक्षाएं आयोजित हुई थीं, जिनमें भारी धांधली की शिकायतें सामने आईं।
कोर्ट की सख्त टिप्पणी: “यह हत्या से भी बड़ा अपराध”
इससे पहले भी हाईकोर्ट ने इस घोटाले को लेकर सख्त रुख अपनाते हुए टिप्पणी की थी कि—
“यह अपराध हत्या से भी ज्यादा गंभीर है, क्योंकि हत्या में केवल एक परिवार प्रभावित होता है, जबकि ऐसी भर्तियों में गड़बड़ी से लाखों युवाओं का भविष्य बर्बाद होता है।”
इस टिप्पणी के साथ ही कोर्ट ने डिप्टी कलेक्टर बने शशांक गोयल और उनकी पत्नी भूमिका कटियार की जमानत याचिकाएं भी खारिज कर दी थीं। सीबीआई ने दोनों को 6 दिसंबर 2024 को गिरफ्तार किया था।