डिवीजन बेंच ने कहा- CBI जांच पूरी करने के नाम पर रोका नहीं जा सकता
बिलासपुर, 6 नवंबर। छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) भर्ती घोटाला मामले में राज्य सरकार को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने सरकार की अपील खारिज करते हुए सिंगल बेंच के आदेश को सही ठहराया और कहा कि 37 चयनित अभ्यर्थियों को तत्काल नियुक्ति दी जाए।
मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायमूर्ति बी.डी. गुरु की बेंच ने सुनवाई के दौरान सरकार से सख्त सवाल किए —
“जब चयन हो चुका है, तो अभ्यर्थियों को नियुक्ति आदेश क्यों नहीं दिए गए? उन्हें अनिश्चितता में क्यों रखा गया?”
सरकार की अपील खारिज, सिंगल बेंच का फैसला बरकरार
इससे पहले, हाईकोर्ट में जस्टिस ए के प्रसाद की सिंगल बेंच ने चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने का आदेश दिया था, लेकिन राज्य सरकार ने उस फैसले को चुनौती देते हुए डिवीजन बेंच में अपील दाखिल की थी।
बेंच ने कहा कि जब तक CBI जांच पूरी नहीं होती, तब तक योग्य अभ्यर्थियों को नौकरी से वंचित कर देना उचित नहीं है।
सरकार के वकील ने कोर्ट को बताया कि जांच सीबीआई कर रही है और फिलहाल इसके पूरे होने की कोई निर्धारित समयसीमा नहीं है। इस पर कोर्ट ने टिप्पणी की —
“जब सरकार जांच की तारीख भी नहीं बता पा रही, तो छात्रों का भविष्य अनिश्चितता में नहीं छोड़ा जा सकता।”
भविष्य में जांच के नतीजों पर निर्भर रहेगा परिणाम
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि सीबीआई जांच में भविष्य में कोई गड़बड़ी पाई जाती है, तो उन नियुक्तियों पर पुनर्विचार किया जा सकता है।
अर्थात्, फिलहाल 37 उम्मीदवारों को नियुक्ति देने का आदेश जारी किया गया है, पर जांच पूरी होने के बाद स्थिति बदल भी सकती है।
CGPSC परीक्षा 2021 से जुड़ा विवाद
यह मामला CGPSC परीक्षा 2021 से जुड़ा है, जिसमें 171 पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया आयोजित की गई थी।
- प्री परीक्षा 13 फरवरी 2022 को हुई, जिसमें 2,565 उम्मीदवार सफल हुए।
- मेंस परीक्षा मई 2022 में हुई, जिसमें 509 अभ्यर्थी पास हुए।
- इसके बाद 11 मई 2023 को अंतिम चयन सूची (170 उम्मीदवार) जारी की गई।
इन पदों में डिप्टी कलेक्टर, डीएसपी, लेखाधिकारी, नायब तहसीलदार, जेल अधीक्षक सहित 20 तरह के पद शामिल थे।
भ्रष्टाचार के आरोप और जांच की पृष्ठभूमि
भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री ननकीराम कंवर ने भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए जनहित याचिका (PIL) दायर की थी।
उन्होंने कोर्ट में ऐसे अधिकारियों और नेताओं के रिश्तेदारों की सूची पेश की, जिनका चयन कथित रूप से “प्रभाव के आधार” पर हुआ था।
इसके बाद हाईकोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए जांच के आदेश दिए। राज्य सरकार ने जांच कराई और बाद में CBI जांच की घोषणा की।
योग्य अभ्यर्थियों के पक्ष में राहत देने वाला आदेश
हाईकोर्ट का यह फैसला योग्य अभ्यर्थियों के लिए राहत लेकर आया है। कोर्ट ने कहा कि “योग्यता के आधार पर चयनित उम्मीदवारों को सिर्फ जांच की आड़ में रोका नहीं जा सकता।”













