राजधानी में छत्तीसगढ़ हरित शिखर सम्मेलन का उद्घाटन किया मुख्यमंत्री ने

रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने गुरुवार को राजधानी रायपुर में आयोजित प्रथम छत्तीसगढ़ हरित शिखर सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस मौके पर उन्होंने जलवायु परिवर्तन को दुनिया की सबसे बड़ी चुनौती बताया और इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य ने जलवायु परिवर्तन के खिलाफ प्रभावी कदम उठाए हैं, जिनमें बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण और वन्यजीव संरक्षण शामिल हैं।

भारत में रिकॉर्ड गर्मी, दुबई में भारी बारिश

मुख्यमंत्री ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि पिछले कुछ वर्षों में जलवायु परिवर्तन ने वैश्विक स्तर पर गंभीर संकट उत्पन्न किया है। भारत में रिकॉर्ड गर्मी, और दुबई जैसे रेगिस्तानी क्षेत्रों में भारी वर्षा, इसके प्रभाव का उदाहरण हैं। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पहले ही आगाह कर दिया था, और अब समय आ गया है कि हम सभी इस चुनौती से निपटने में अपनी जिम्मेदारी निभाएं।”

4 करोड़ पेड़ लगाने का लक्ष्य पूरा

मुख्यमंत्री साय ने प्रदेश के वन संरक्षण और पर्यावरणीय संवर्धन की दिशा में किए गए प्रयासों की चर्चा की। उन्होंने कहा, “प्रदेश का 44% क्षेत्र वनाच्छादित है और हमने प्रधानमंत्री के ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत 4 करोड़ पेड़ लगाने का लक्ष्य पूरा कर लिया है।” उन्होंने बताया कि हाल ही में गुरु घासीदास-तमोर पिंगला को टाइगर रिजर्व घोषित करने की पहल भी की गई है, जिससे वन्यजीव संरक्षण और पर्यावरण सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा।

रिन्यूएबल एनर्जी की दिशा में कदम

छत्तीसगढ़ ने नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय प्रगति की है। मुख्यमंत्री ने बताया कि भारत ने 200 गीगावॉट रिन्यूएबल एनर्जी उत्पादन का लक्ष्य पूरा कर लिया है, और वर्ष 2030 तक इसे बढ़ाकर 500 गीगावॉट करने की योजना है। इस दिशा में छत्तीसगढ़ भी सक्रिय रूप से योगदान कर रहा है।

वृक्षारोपण योजनाओं का विस्तार

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनमें ‘किसान वृक्ष मित्र योजना’ और ‘ग्रीन क्रेडिट योजना’ प्रमुख हैं। उन्होंने नवा रायपुर में ‘पीपल फॉर पीपल’ अभियान के तहत हजारों पीपल के पेड़ लगाने की जानकारी भी दी, जिससे राज्य में हरित आवरण बढ़ाने का लक्ष्य है।

वन मंत्री और विशेषज्ञों ने भी रखी बात

वन मंत्री केदार कश्यप ने सम्मेलन में कहा कि तकनीकी प्रगति के बावजूद हमने प्रकृति से दूरी बना ली है और साधनों के दुरुपयोग से पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं। उन्होंने राज्य सरकार की योजनाओं और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी दी।

प्रज्ञा प्रवाह के अखिल भारतीय संयोजक जे. नंदकुमार ने भारतीय संस्कृति में प्रकृति और मानव के सह-अस्तित्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमें पंचभूतों की रक्षा करनी चाहिए और पर्यावरण को स्वच्छ बनाए रखने की जिम्मेदारी निभानी चाहिए।

समृद्ध जैव विविधता और जागरूकता

पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के राष्ट्रीय समन्वयक गोपाल आर्य ने कहा कि छत्तीसगढ़ की समृद्ध जैव विविधता और पर्यावरण जागरूकता के कारण राज्य का ग्रीन समिट महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी ने प्रकृति और पर्यावरण के संबंधों पर गहरा प्रभाव डाला है, जिसे अब पुनः सशक्त करने की आवश्यकता है।

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