बलरामपुर। छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले (सरगुजा संभाग) में मंगलवार देर रात एक पुराना बांध टूटने से बड़ा हादसा हो गया। भारी बारिश के कारण धनेशपुर गांव में स्थित लूटी (सतबहिनी) जलाशय का एक हिस्सा टूट गया, जिससे अचानक आई बाढ़ ने आसपास के घरों और खेतों को बहा ले गया। इस हादसे में सास और बहू सहित चार लोगों की मौत हो गई, जबकि तीन लोग अभी भी लापता हैं।
मृतकों में बट्सैया (62), उसकी बहू चिंता (35), रजंती (25), और एक नाबालिग लड़के की पहचान हुई है। हादसे में छह लोग एक ही परिवार के बताए जा रहे हैं। स्थानीय पुलिस और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) की टीमें बचाव कार्य में जुटी हैं। दो शव मंगलवार रात और दो बुधवार सुबह बरामद किए गए। लापता लोगों की तलाश के लिए कनहर नदी और आसपास के क्षेत्रों में अभियान जारी है।
पुराना बांध भारी बारिश के चलते टूटा
जानकारी के अनुसार, 1980 के दशक में बना यह जलाशय भारी बारिश का दबाव नहीं झेल सका। मंगलवार रात 10 से 11 बजे के बीच बांध टूटने से पानी तेजी से गांव में घुस गया, जिससे कई घर और खेत बह गए। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने बताया कि पिछले 24 घंटों में बलरामपुर और आसपास के इलाकों में भारी से बहुत भारी बारिश हुई। यह बारिश बंगाल की खाड़ी में बने कम दबाव के क्षेत्र के कारण हुई, जो अगले 24 घंटों तक जारी रह सकती है।
राहत शिविरों में शिफ्ट किए गए प्रभावित
हादसे की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन, पुलिस, और एनडीआरएफ की टीमें मौके पर पहुंचीं। बलरामपुर कलेक्टर रजेंद्र कटारा और उप-विभागीय मजिस्ट्रेट अभिषेक गुप्ता ने बताया कि राहत और बचाव कार्य तेजी से चल रहे हैं। प्रभावित परिवारों के लिए राहत शिविर स्थापित किए गए हैं, और नुकसान का आकलन किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने शोक जताया, सहायता राशि घोषित
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने हादसे पर दुख जताया और ट्वीट कर कहा, “बलरामपुर में लूटी जलाशय टूटने से हुई जनहानि अत्यंत दुखद है। प्रभावित परिवारों को हर संभव सहायता दी जाएगी।” उन्होंने मृतकों के परिजनों के लिए 5 लाख रुपये और घायलों के लिए 50 हजार रुपये की सहायता राशि की घोषणा की।
पूर्व मुख्यमंत्री बघेल का बयान
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राहत राशि को अपर्याप्त बताते हुए ट्वीट किया, “बलरामपुर में बांध टूटने से हुई तबाही दुखद है। सरकार का 5 लाख रुपये का मुआवजा नाकाफी है। कांग्रेस सरकार में हमने ऐसी घटनाओं में 50 लाख रुपये दिए थे। सरकार को पीड़ितों के लिए पर्याप्त सहायता और बांधों की मरम्मत सुनिश्चित करनी चाहिए।”