बिलासपुर। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेश बघेल ने दावा किया है कि बस्तर संभाग के सुकमा, बीजापुर और दंतेवाड़ा जैसे आदिवासी इलाकों से 30 से 40 हजार युवक-युवतियां पलायन कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि यह पलायन सिर्फ नक्सल समस्या की वजह से नहीं, बल्कि मनरेगा बंद होने, तेंदूपत्ता तोड़ने पर रोक, और पुलिस-एनआईए की दहशत के कारण हो रहा है।
शुक्रवार को बिलासपुर पहुंचे बघेल ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि जब तक मनरेगा जैसी योजनाएं चल रही थीं, तब तक ग्रामीणों को गांव में ही काम मिल जाता था। लेकिन अब काम बंद है, तेंदूपत्ता संग्रहण भी रुक गया है, और चारों ओर डर का माहौल है। यही वजह है कि बस्तर के हजारों युवा आंध्रप्रदेश, तेलंगाना और महाराष्ट्र जैसे राज्यों की ओर रोजी-रोटी के लिए पलायन कर रहे हैं।
“हम नक्सलवाद के खिलाफ हैं, लेकिन निर्दोषों को मत मारो”
बघेल ने कहा कि उनकी सरकार के समय में क्रॉस फायरिंग की घटनाओं को भी जिम्मेदारी से स्वीकारा गया था, लेकिन मौजूदा सरकार के दौरान फर्जी एनकाउंटर हो रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कांकेर में तेंदूपत्ता तोड़ने गए लोगों को नक्सली बताकर मार दिया गया। उन्होंने सवाल किया कि अगर सरकार नक्सलवाद खत्म करने के नाम पर आम लोगों को ही निशाना बना रही है, तो यह कैसा न्याय है?
“शालाएं बंद, मधुशालाएं चालू”
बघेल ने भाजपा सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि ये सरकार शालाएं बंद कर रही है और मधुशालाएं खोल रही है। उन्होंने कहा कि 16 जून से स्कूल खुलने वाले हैं और सरकार “युक्तियुक्तकरण” के नाम पर गांवों की स्कूलों को बंद कर रही है, जिससे बच्चों को पढ़ाई के लिए दूर-दराज जाना पड़ेगा।
“धान खरीदी में देरी, किसान परेशान”
बघेल ने आरोप लगाया कि सरकार धान खरीदी में जानबूझकर देरी कर देती है, जिससे किसानों को क्विंटल पर 500 से 600 रुपए का नुकसान होता है। उन्होंने कहा कि यह किसानों को हतोत्साहित करने की साजिश है।
“महिलाओं और आदिवासियों की उपेक्षा”
बघेल ने कहा कि महतारी वंदन योजना से 70 हजार महिलाओं का नाम हटा दिया गया है। वहीं दूसरी ओर आदिवासियों को फर्जी मामलों में जेल भेजा जा रहा है। उन्होंने राज्य सरकार को आदिवासी विरोधी करार देते हुए कहा कि यह नीति जनविरोधी है।
“रेत घाटों पर गोलीबारी, कानून व्यवस्था खराब”
बघेल ने कहा कि उनकी सरकार ने रेत खनन को लेकर ठेका प्रणाली शुरू की थी, लेकिन अब हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि रेत घाटों में फायरिंग की घटनाएं सामने आ रही हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री ने झीरम घाटी हमले की भी चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान को याद दिलाया, जिसमें उन्होंने 15 दिन में आरोपियों को जेल भेजने की बात कही थी। उन्होंने सवाल किया कि क्या गृहमंत्री अब उनसे पूछेंगे कि उस वादे का क्या हुआ?