नव नियुक्त सिविल न्यायाधीशों की ट्रेनिंग शुरू, चीफ जस्टिस ने दिए जरूरी संदेश

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ राज्य न्यायिक अकादमी, बिलासपुर में नव नियुक्त सिविल न्यायाधीश (कनिष्ठ श्रेणी) के लिए तीन महीने का ट्रेनिंग प्रोग्राम सोमवार से शुरू हो गया। इस मौके पर मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा ने खुद कार्यक्रम का शुभारंभ किया और नए न्यायिक अधिकारियों को अपने अनुभव और सोच से रूबरू कराया।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा,

“न्यायाधीश बनना सिर्फ एक सरकारी नौकरी नहीं है, बल्कि ये एक पवित्र जिम्मेदारी है। आम आदमी को न्याय दिलाने की जिम्मेदारी अब आपके कंधों पर है।”

उन्होंने सभी नए न्यायाधीशों को बधाई दी और कहा कि ट्रेनिंग के दौरान जो नींव आप रखेंगे, वही आगे चलकर आपके न्यायिक व्यवहार और फैसलों की दिशा तय करेगी।

मुख्य न्यायाधीश ने न्याय की प्रक्रिया को लेकर दो अहम बातें कही –

  1. “विलंब से मिला न्याय, कभी-कभी न्याय नहीं होता।”
  2. “और जल्दबाज़ी में दिया गया न्याय भी कई बार अन्याय बन जाता है।”

उन्होंने कहा कि न्याय देते वक्त वक्त की पाबंदी, धैर्य और तैयारी बेहद ज़रूरी है। साथ ही नए जजों को सतत अध्ययन, विनम्रता और न्यायिक मर्यादा बनाए रखने की सलाह दी।

चीफ जस्टिस ने कहा, “अब आप वही चेहरा हैं, जिससे आम जनता पहली बार न्याय तंत्र से मिलती है। आपकी ईमानदारी और संवेदनशीलता से लोगों के मन में न्याय व्यवस्था की छवि बनेगी।”

इस मौके पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति रजनी दुबे, जो राज्य न्यायिक अकादमी की अध्यक्ष भी हैं, मौजूद रहीं। इसके अलावा रजिस्ट्रार जनरल और न्यायिक अकादमी के अधिकारी भी कार्यक्रम में शामिल हुए।

ट्रेनिंग का पहला चरण 27 सितंबर 2025 तक चलेगा, जिसमें न्यायिक अधिकारियों को कानून, व्यवहार, आचरण और कार्यप्रणाली की गहराई से ट्रेनिंग दी जाएगी।

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