मोदी पर किया कटाक्ष, उनकी दाढ़ी बड़ी, लेकिन वे संत नहीं
बिलासपुर। जगतगुरु शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने पत्रकार वार्ता के दौरान भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखे प्रहार किए। उन्होंने कहा कि मौजूदा केंद्र सरकार पूरी तरह से कमजोर हो चुकी है और नीतीश कुमार व चंद्रबाबू नायडू के सहारे चल रही है। शंकराचार्य ने मोदी की आलोचना करते हुए कहा कि लोग मोदी की गारंटी को भूल गए हैं। उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा, “मोदी की दाढ़ी बड़ी है, लेकिन वह संत नहीं हैं।”
राम मंदिर में मर्यादाओं का उल्लंघन
शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि राम मंदिर के निर्माण के दौरान भाजपा ने मर्यादाओं का उल्लंघन किया है। उन्होंने कहा कि भाजपा की महत्वाकांक्षाओं ने राम नाम का राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश की और इसके चलते धार्मिक आस्थाओं को ठेस पहुंची है। शंकराचार्य ने कहा कि राम मंदिर एक पवित्र स्थल है, लेकिन भाजपा ने वहां राजनीति के लिए मर्यादाओं को तोड़ा है।
महंगाई के लिए दलाल और मुनाफाखोर जिम्मेदार
देश में लगातार बढ़ती महंगाई पर शंकराचार्य ने चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि पहले वस्तुएं सीधे दुकानदारों तक पहुंच जाती थीं, लेकिन अब दलालों और मुनाफाखोरों की वजह से वस्तुओं के दाम बेतहाशा बढ़ गए हैं। दलाल व्यवस्था ने बाजार को पूरी तरह से जकड़ लिया है और इसका सीधा असर आम आदमी पर पड़ रहा है।
धर्मांतरण और अश्लीलता पर सख्ती हो
शंकराचार्य ने कहा कि धर्मांतरण को राजनीतिक संरक्षण मिल रहा है और इसे रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि धार्मिक कार्यक्रमों में अश्लीलता कतई बर्दाश्त नहीं की जानी चाहिए और दोषियों को सख्त सजा मिलनी चाहिए। शंकराचार्य ने समाज के सभी वर्गों से अपील की कि वे अपने बच्चों को अच्छे संस्कार दें ताकि युवा पीढ़ी भटकाव से बच सके। उन्होंने कहा कि परिवार में सही शिक्षा और संस्कार दिए जाने से ही समाज में सकारात्मक बदलाव आएंगे।
गाय और गोचर भूमि के संरक्षण पर जोर
गाय और गोचर भूमि के संरक्षण पर भी शंकराचार्य ने चिंता जताई। उन्होंने कहा कि आधुनिकता और मशीनों के बढ़ते उपयोग के चलते बैलों की उपयोगिता खत्म हो रही है और कृत्रिम दूध का उत्पादन बढ़ रहा है, जिससे गायों का संरक्षण मुश्किल हो गया है। शंकराचार्य ने कहा कि गोचर भूमि का विलोप हो रहा है और इसे रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए।
धर्म, शिक्षा और सेवा के केंद्र, मंदिर और मठ
शंकराचार्य ने मंदिरों और मठों को शिक्षा, सेवा और रक्षा के केंद्र बताया। उन्होंने कहा कि इन स्थलों को न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी संरक्षित किया जाना चाहिए। शंकराचार्य ने कहा कि ज्ञानी व्यक्ति ही भगवान का सच्चा भक्त होता है और हमें भगवान की भक्ति में ध्यान लगाना चाहिए ताकि समाज में संतुलन बना रहे।