बिलासपुर। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के बच्चों के लिए बनाए गए शिक्षा का अधिकार कानून (RTE) में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियों का खुलासा हुआ है। गरीब बच्चों की जगह अमीर परिवारों के बच्चों को दाखिला देने और एडमिशन पोर्टल के हैक होने की शिकायत पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने मामले को गंभीर मानते हुए सरकार को तत्काल जांच के निर्देश दिए हैं।

समाजसेवी की जनहित याचिका पर सुनवाई

भिलाई के वरिष्ठ समाजसेवी सीवी भगवंत राव ने अधिवक्ता देवर्षि सिंह के माध्यम से हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। इसमें कहा गया कि RTE के तहत निजी स्कूलों में 25% सीटें EWS वर्ग के बच्चों के लिए आरक्षित होती हैं, ताकि उन्हें समान शिक्षा का अधिकार मिल सके। कानून के अनुसार, यदि 1 किमी के दायरे में स्थित स्कूल में स्थान न मिले, तो 3 किमी या उससे अधिक दूर स्थित स्कूलों में दाखिला दिया जा सकता है।

वेबसाइट हैक कर हुआ फर्जीवाड़ा!

मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति अरविंद वर्मा की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि RTE के तहत गरीब बच्चों को दाखिले के लिए जिस वेबसाइट से फॉर्म भरना होता है, उसे हैक कर लिया गया। आरोप है कि इसका फायदा उठाकर अमीर वर्ग के बच्चों को दाखिला दे दिया गया, जबकि असली हकदार वंचित रह गए।

कोर्ट ने पूछा- सरकार क्या कर रही है?

इस गंभीर आरोप पर कोर्ट ने सरकारी वकील से सीधा सवाल किया कि सरकार इस दिशा में क्या कार्रवाई कर रही है? कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि गरीब बच्चों का हक छीना जा रहा है, इसलिए सरकार को इस मामले की गंभीरता से जांच करनी होगी

चार दर्जन स्कूलों को बनाया गया पक्षकार

इस मामले में पहले से ही लगभग चार दर्जन निजी स्कूलों को पक्षकार बनाया गया है। पहले की सुनवाई में हाईकोर्ट ने सभी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था, जो अब प्रस्तुत किए जा चुके हैं।

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