बिलासपुरभोपाल में हुए 134 करोड़ रुपए के बड़े जीएसटी फर्जीवाड़ा मामले की जांच करते हुए आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) ने छत्तीसगढ़ के मरवाही में मंगलवार को कोयला कारोबारी शेख जफर को गिरफ्तार किया है। यह कार्रवाई गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले के रूमगा मटियाढांड इलाके में की गई।

EOW की टीम ने बताया कि शेख जफर, जबलपुर निवासी विनोद कुमार सहाय के लिए काम करता था, जो इस फर्जीवाड़े का मास्टरमाइंड है और पहले ही रांची से गिरफ्तार हो चुका है।

बोगस कंपनियों के जरिए चल रहा था खेल

जांच में सामने आया है कि शेख जफर की अंबर कोल डिपो और अनम ट्रेडर्स नाम की कंपनियां हैं, जो कोयले के नाम पर फर्जी बिलिंग कर रही थीं। उसने अभिजीत ट्रेडर्स, मां रेवा ट्रेडर्स, नमामि ट्रेडर्स, महामाया ट्रेडर्स और जगदंबा कोल कैरियर्स जैसी फर्मों से व्यापार दिखाया, जो सभी विनोद सहाय के नेटवर्क से जुड़ी थीं।

पूछताछ में शेख जफर ने यह भी माना कि उसने बिलासपुर, रायगढ़ और अनूपपुर की कई बड़ी कोल कंपनियों को भी फर्जी बिल दिए, जिनमें प्रकाश इंडस्ट्रीज, MSP पावर प्लांट और बीएस सिंघल पावर जैसे नाम सामने आए हैं। मरवाही के पास उसका एक डंपिंग यार्ड भी है, जहां से वह चोरी का कोयला छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के कई हिस्सों में भेजता था।

23 फर्जी फर्म और 150 से ज्यादा बैंक अकाउंट 

EOW की जांच में यह भी सामने आया है कि विनोद सहाय ने 2009 से ही फर्जी नामों और दस्तावेजों पर फर्में बनाना शुरू कर दिया था। वह खुद को लोन एजेंट बताकर लोगों से पैन, आधार और बैंक डिटेल लेकर उनके नाम पर GST रजिस्ट्रेशन करवाता और सारी जानकारी अपने पास रखता था।

अब तक की जांच में 23 फर्जी कंपनियां और 150 से ज्यादा बैंक खाते पकड़े गए हैं। घोटाला केवल एमपी-छत्तीसगढ़ तक सीमित नहीं है, यह महाराष्ट्र तक फैला हुआ है।

EOW ने बताया कि इस पूरे नेटवर्क में कोई असली गोदाम, माल का स्टॉक या ट्रांसपोर्ट का रिकॉर्ड नहीं मिला है, फिर भी 512 करोड़ की इनवॉयसिंग की गई है।

डिजिटल तरीके से संगठित फर्जीवाड़ा

जांच एजेंसी का मानना है कि यह पूरा मामला एक संगठित नेटवर्क का हिस्सा है, जिसमें बैंक खाते, मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी, GST रजिस्ट्रेशन और ITC क्लेम सब आपस में जुड़े हुए हैं। अब तक जो कंपनियां सामने आई हैं, उनमें से कई में विनोद सहाय का सीधा या परोक्ष नियंत्रण था।

कई जाली दस्तावेज जब्त

EOW ने आरोपी के पास से फर्जी सीलें, GST बिल बुक्स, ट्रांसपोर्ट की नकली रसीदें, पैन-आधार कार्ड सहित कई दस्तावेज जब्त किए हैं। अब इस नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों की तलाश की जा रही है। अधिकारी मान रहे हैं कि यह घोटाला 134 करोड़ से कहीं ज्यादा का हो सकता है।

 

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