बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने वैज्ञानिक अधिकारी (बायोलॉजी) की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते हुए कहा है कि अतिथि व्याख्याता के रूप में कार्य करते हुए पीएचडी करना नियमों के विरुद्ध नहीं है। कोर्ट ने यह भी माना कि चयन प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी नहीं हुई और नियुक्ति पूरी तरह वैध है।
यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बीडी गुरु की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता राजकुमार वर्मा की अपील पर सुनवाई करते हुए दिया। दरअसल, छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग ने वर्ष 2019 में वैज्ञानिक अधिकारी (बायोलॉजी) के पद के लिए विज्ञापन जारी किया था, जिसमें संबंधित विषय में द्वितीय श्रेणी में एमएससी और दो वर्ष का अनुसंधान अनुभव आवश्यक बताया गया था।
इस पद के लिए राजकुमार वर्मा और प्रवीण कुमार सोनी दोनों ने आवेदन किया और चयन प्रक्रिया में शामिल हुए। अंततः प्रवीण कुमार को अधिक अंक मिलने पर चयनित किया गया। राजकुमार वर्मा ने कोर्ट में आपत्ति जताई कि प्रवीण का अनुभव प्रमाण पत्र गाइड द्वारा जारी किया गया, जिसमें विभागाध्यक्ष की स्वीकृति नहीं थी। उन्होंने यह भी कहा कि पीएचडी करते हुए अतिथि व्याख्याता के रूप में कार्य करना वैध नहीं है।
इस पर कोर्ट में लोक सेवा आयोग की ओर से बताया गया कि चयन से पहले सभी दस्तावेजों की जांच विषय विशेषज्ञ समिति द्वारा की गई थी और प्रवीण कुमार को परीक्षा तथा साक्षात्कार मिलाकर वाजिब रूप से अधिक अंक मिले। आयोग और सरकारी अधिवक्ता ने भी स्पष्ट किया कि अतिथि व्याख्याता के रूप में रहते हुए पीएचडी करना नियमों के अनुसार वैध है।
कोर्ट ने सभी तर्कों को सुनने के बाद याचिका को खारिज करते हुए कहा कि चयन प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी रही और नियुक्ति में कोई गैरकानूनी प्रक्रिया नहीं अपनाई गई।