बिलासपुर। हाई कोर्ट ने करंट से मौत के एक मामले में मृतक के परिजनों को बड़ी राहत दी है। अदालत ने निचली अदालत द्वारा तय किए गए 4 लाख मुआवजे को संशोधित करते हुए इसे बढ़ाकर 10 लाख रुपए कर दिया है। डिवीजन बेंच जस्टिस संजय के अग्रवाल और जस्टिस सचिन सिंह राजपूत ने बिजली कंपनी की जिम्मेदारी तय करते हुए आदेश दिया कि तीन माह के भीतर शेष 6 लाख रुपए का भुगतान किया जाए।

मामला जांजगीर-चांपा जिले के ग्राम लीमगांव, चरौदा का है। यहां 6 अगस्त 2023 को 35 वर्षीय मनोज कुमार यादव खेत में पंप चलाते समय बिजली के तार की चपेट में आ गया था और उसकी मौके पर ही मौत हो गई। मनोज की पत्नी, दो बच्चे और माता-पिता ने अदालत में 10 लाख रुपए मुआवजे की मांग करते हुए कहा था कि वह मैकेनिक का काम भी करता था और करीब 10 हजार रुपए मासिक आय अर्जित करता था।

जांजगीर-चांपा की निचली अदालत ने जुलाई 2024 में आदेश देते हुए परिजनों को 4 लाख रुपए मुआवजा और 6% ब्याज देने का निर्णय दिया था। इससे असंतुष्ट परिजनों ने हाई कोर्ट में अपील दायर की।

सुनवाई में सीएसपीडीसीएल ने तर्क दिया कि मृतक अवैध रूप से बिजली लाइन से हुकिंग कर रहा था और इसी कारण हादसा हुआ, इसलिए विभाग पर कोई जिम्मेदारी नहीं बनती। लेकिन हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के शैल कुमारी केस का हवाला देते हुए साफ कहा कि यह मामला स्ट्रिक्ट लायबिलिटी का है और बिजली कंपनी जिम्मेदार होगी।

हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि कुल 10 लाख रुपए मुआवजा दिया जाए। पहले दिए गए 4 लाख रुपए घटाकर शेष 6 लाख रुपए तीन माह में परिजनों को दिए जाएं। इस राशि पर 6% वार्षिक ब्याज भी देना होगा, जो 31 अक्टूबर 2023 से लेकर भुगतान की तिथि तक लागू रहेगा।

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