बिलासपुर हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में फैमिली कोर्ट का DNA टेस्ट कराने का आदेश सही माना है। कोरबा के वकील श्यामलाल मल्लिक की अपील को कोर्ट ने खारिज कर दिया है।

दरअसल, श्यामलाल की जूनियर रही 37 साल की महिला वकील ने उन पर शारीरिक शोषण का आरोप लगाया है। महिला ने कहा है कि उसकी एक बेटी है और वो श्यामलाल की ही संतान है। जब उसे और बेटी को अधिकार नहीं मिला तो वो फैमिली कोर्ट पहुंच गई और DNA टेस्ट की मांग कर दी।

फैमिली कोर्ट ने महिला की अर्जी 8 अक्टूबर 2024 को स्वीकार कर ली थी। महिला का तर्क था कि बच्ची नाबालिग है, इसलिए उसके जैविक पिता की पहचान होना जरूरी है, ताकि उसे कानूनी हक मिल सके।

श्यामलाल मल्लिक ने इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में दो अलग-अलग याचिकाएं लगाईं थीं। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने साफ कर दिया कि फैमिली कोर्ट को DNA टेस्ट कराने का अधिकार है और इस पर फैसला दोनों पक्षों के साक्ष्य दर्ज होने के बाद ही होगा।

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