बिलासपुर। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में राज्य शासन को दिव्यांग अधिकारियों और कर्मचारियों के स्थानांतरण और पदस्थापना के लिए नीति बनाने का निर्देश दिया है। जस्टिस पी.पी. साहू की एकल पीठ ने विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 के तहत राज्य आयुक्त की नियुक्ति का भी आदेश दिया है, जिसके तहत आयुक्त को सक्षम व्यक्तियों के अधिकारों के हनन पर स्वतः संज्ञान लेना होगा।
यह निर्णय उस याचिका पर आया, जिसमें याचिकाकर्ता, जो कि 70 प्रतिशत शारीरिक रूप से अक्षम हैं, ने अपने स्थानांतरण आदेश को चुनौती दी थी। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता संदीप दुबे ने अदालत में तर्क दिया कि उनके मुवक्किल को नगर पालिका परिषद बेमेतरा में सहायक राजस्व निरीक्षक के पद पर पदस्थ किया गया था। प्रारंभ में उन्हें दिव्यांग श्रेणी के तहत भृत्य के पद पर नियुक्त किया गया था, लेकिन बाद में 2000 में पदोन्नत कर सहायक राजस्व निरीक्षक बनाया गया।
अधिवक्ता दुबे ने अदालत को यह भी बताया कि याचिकाकर्ता नगर पालिका परिषद बेमेतरा में लंबे समय से कार्यरत हैं और उनका स्थानांतरण 12 सितंबर 2023 को नगर पालिका परिषद कुम्हारी, जिला दुर्ग किया गया था। याचिकाकर्ता का कहना था कि स्थानांतरण आदेश की तामील अभी तक नहीं हुई थी और उन्हें बेमेतरा में कार्य करते रहने की अनुमति दी गई थी। लेकिन, रिलीविंग ऑर्डर मिलने के बाद उन्हें स्थानांतरण के बारे में पता चला।
अदालत ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लेख किया, जिसमें कहा गया था कि दिव्यांग व्यक्तियों को उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप स्थान पर तैनात किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के 20 जुलाई 2000 के निर्देशानुसार, राज्य सरकारों को दिव्यांग कर्मचारियों को उनकी पसंद के स्थानों पर तैनात करने का निर्देश दिया गया था, ताकि उनकी स्वतंत्र रूप से चलने-फिरने की समस्या को ध्यान में रखा जा सके।
जस्टिस पी.पी. साहू ने अपने निर्णय में लिखा कि दिव्यांग व्यक्तियों को उनके निवास स्थान के निकट तैनात करने से उन्हें बेहतर सहायता प्राप्त हो सकेगी और इससे शासकीय कामकाज में भी कोई बाधा नहीं आएगी। अदालत ने कहा कि स्थानांतरण के दौरान निवास की दूरी को भी ध्यान में रखना चाहिए, ताकि दिव्यांग व्यक्तियों को लंबी दूरी की यात्रा से बचाया जा सके।
राज्य सरकार की ओर से उपस्थित अधिवक्ता ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि स्थानांतरण आदेश एक साल पहले जारी किया गया था और रिलीविंग आदेश मिलने के बाद ही याचिकाकर्ता ने अदालत में इस आदेश को चुनौती दी है।
अंततः, उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता के पक्ष में निर्णय देते हुए राज्य सरकार को स्थानांतरण आदेश पर रोक लगाने का निर्देश दिया। साथ ही, याचिकाकर्ता को नगर पालिका परिषद बेमेतरा में अपने वर्तमान पद पर कार्यरत रहने की अनुमति दी गई। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता 10 दिनों के भीतर सचिव नगरीय प्रशासन विभाग के समक्ष अभ्यावेदन प्रस्तुत करें और विभाग को चार सप्ताह के भीतर इस पर निर्णय लेने का आदेश दिया।