चीफ जस्टिस ने 21 सिंतबर को होने वाली नेशनल लोक अदालत की तैयारी की समीक्षा की

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधिपति और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के मुख्य संरक्षक न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा ने कहा है कि लोक अदालतें न्यायालयों में लंबित मामलों के त्वरित और विधि सम्मत समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उन्होंने आगामी 21 सितंबर को आयोजित होने वाली नेशनल लोक अदालत की तैयारियों के संदर्भ में यह बात कही। जस्टिस सिन्हा ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से आयोजित बैठक में राज्य के सभी जिला न्यायाधीशों, न्यायिक अधिकारियों, और प्राधिकरण के सदस्यों को संबोधित किया।

राजीनामा योग्य मामलों पर विशेष जोर

जस्टिस सिन्हा ने कहा कि न्यायालयों में बढ़ते लंबित मामलों की संख्या को देखते हुए, राजीनामा योग्य मामलों का समाधान लोक अदालतों के माध्यम से किया जाना चाहिए। इससे पक्षकारों को त्वरित न्याय मिलेगा और न्यायालय में लंबित मामलों का बोझ भी कम होगा। उन्होंने विशेष रूप से 5 और 10 वर्षों से अधिक समय से लंबित मामलों पर ध्यान केंद्रित करने का निर्देश दिया, ताकि इन्हें जल्द से जल्द हल किया जा सके।

प्री-लिटिगेशन मामलों का समाधान आवश्यक

मुख्य न्यायाधिपति ने प्री-लिटिगेशन मामलों के समाधान पर भी जोर दिया, खासकर बैंक, बीमा कंपनियों, बिजली वितरण कंपनियों और अन्य वित्तीय संस्थानों द्वारा प्रस्तुत किए गए मामलों में। उन्होंने कहा कि प्री-सिटिंग के माध्यम से इन मामलों का समाधान होने से, वे अदालतों तक पहुंचने से पहले ही निपट जाते हैं, जिससे न्यायालयों पर भार कम होता है और पक्षकारों को भी राहत मिलती है।

राजीनामा योग्य प्रकरणों का न्यायालयीन समाधान

न्यायमूर्ति सिन्हा ने कहा कि लोक अदालतों का मुख्य उद्देश्य पक्षकारों की सहमति से अधिकतम राजीनामा योग्य मामलों का निराकरण करना है। इस प्रयास में सभी न्यायिक अधिकारियों और संबंधित संस्थाओं का सहयोग आवश्यक है। इससे न केवल मामलों का निपटारा त्वरित होगा, बल्कि अन्य मामलों के लिए भी न्यायालय का समय बच सकेगा।

21 सितंबर को होगा नेशनल लोक अदालत का आयोजन

इस बैठक में बताया गया कि 21 सितंबर, 2024 को आयोजित होने वाली नेशनल लोक अदालत में उच्च न्यायालय से लेकर तहसील न्यायालयों तक, यहां तक कि राजस्व न्यायालयों में भी मामलों का निराकरण किया जाएगा। अब तक प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, 180,259 प्री-लिटिगेशन और 34,824 लंबित मामलों को चिन्हित किया जा चुका है, जिनमें राजीनामा की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं।

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