बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सोमवार को राज्य शासन द्वारा मूलवासी बचाओ मंच (MBM) को छत्तीसगढ़ विशेष जन सुरक्षा अधिनियम 2005 के तहत अवैध संगठन घोषित करने संबंधी अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया।
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार वर्मा की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि यह संगठन पंजीकृत नहीं है और यह मामला फिलहाल अधिनियम की धारा 5 के तहत गठित सलाहकार बोर्ड के समक्ष समीक्षा के लिए लंबित है।
याचिकाकर्ता बोले – गतिविधि अवैध नहीं, पर गिरफ्तारी
याचिकाकर्ता रघु मिडियामी, जो MBM के संस्थापक और पूर्व अध्यक्ष हैं, ने याचिका में कहा कि अधिसूचना जारी होने के बाद कई सदस्यों को केवल संगठन से जुड़े होने के कारण गिरफ्तार कर लिया गया है। वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारिख ने कोर्ट में तर्क दिया कि संगठन के विरुद्ध किसी भी अवैध गतिविधि का कोई ठोस प्रमाण नहीं है।
राज्य सरकार ने कहा – विकास कार्यों का विरोध कर रहा था संगठन
राज्य के महाधिवक्ता ने जवाब में कहा कि सरकार ने अपने आदेश में सभी कारण स्पष्ट किए हैं। अक्टूबर 2024 में जारी अधिसूचना का हवाला देते हुए कहा गया कि यह संगठन माओवादी प्रभावित क्षेत्रों में हो रहे विकास कार्यों का लगातार विरोध कर रहा था और आम लोगों को भड़काने का काम कर रहा था।
शांति व्यवस्था को बाधित करने के आरोप
अधिसूचना में यह भी कहा गया है कि यह संगठन कानून व्यवस्था में हस्तक्षेप, कानूनन स्थापित संस्थाओं की अवहेलना को बढ़ावा देने और जनशांति व नागरिकों की सुरक्षा में बाधा उत्पन्न कर रहा था।
कोर्ट ने दस्तावेज देखे, कहा – गोपनीय रिपोर्ट पर कार्रवाई संभव
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत कुछ दस्तावेजों का अवलोकन किया और मौखिक रूप से कहा कि ये गोपनीय दस्तावेज हैं, जिन्हें याचिकाकर्ता को नहीं दिया जा सकता। यदि राज्य सरकार के पास अपनी खुफिया रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई करने के ठोस कारण हैं, तो वह वैधानिक कार्रवाई कर सकती है।