15 लाख से अधिक मामलों के निपटारे का लक्ष्य, महिला-वरिष्ठ नागरिकों के प्रकरणों पर विशेष जोर
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट 10 मई को आयोजित होने वाली नेशनल लोक अदालत की तैयारियों की गहन समीक्षा कर रहा है। इसका उद्देश्य न्यायालयों में लंबित और प्री-लिटिगेशन मामलों का अधिकतम समाधान आपसी समझौते के जरिए करना है।
5 मई 2025 तक राज्यभर से मिली जानकारी के अनुसार, अब तक 15,86,808 मामलों को चिन्हित किया गया है। इनमें 15,25,942 प्री-लिटिगेशन और 60,866 लंबित मामले शामिल हैं।
छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (सीजीएसएलएसए) के संरक्षक एवं हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा ने राज्यभर के न्यायिक अधिकारियों के साथ वर्चुअल बैठक की। इस बैठक में सीजीएसएलएसए के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति संजय के. अग्रवाल भी शामिल रहे।
बैठक में सभी जिला एवं सत्र न्यायाधीश, जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों के सचिव, फैमिली कोर्ट के न्यायाधीश, स्थायी लोक अदालतों के अध्यक्ष, मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी और श्रम न्यायालयों के न्यायाधीशों ने भाग लिया।
मुख्य न्यायाधीश सिन्हा ने अधिकारियों से आग्रह किया कि वे पुराने लंबित सिविल और आपराधिक सुलह योग्य मामलों की अधिकतम पहचान और निपटान को प्राथमिकता दें। उन्होंने विशेष रूप से महिलाओं, वरिष्ठ नागरिकों, परक्राम्य लिखत अधिनियम (NI Act) और मोटर दुर्घटना मुआवजा से जुड़े मामलों पर ध्यान केंद्रित करने को कहा।
उन्होंने न्यायिक अधिकारियों से अपील की कि वे पक्षकारों को प्री-लिटिगेशन स्तर पर ही विवाद सुलझाने के लिए प्रोत्साहित करें, ताकि लोक अदालत एक प्रभावी और तेज विकल्प के रूप में साबित हो सके।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि मुकदमों की पूर्व बैठकें (pre-sittings) कर पक्षकारों को समझाना आवश्यक है। उन्होंने बीमा और वित्तीय कंपनियों से समन्वय बनाकर परक्राम्य लिखत और मोटर क्लेम से जुड़े मामलों के त्वरित निपटारे की रणनीति पर भी बल दिया।
नेशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी (NALSA), नई दिल्ली के निर्देश पर यह नेशनल लोक अदालत हाईकोर्ट सहित सभी जिला न्यायालयों, तहसील न्यायालयों, फैमिली कोर्ट, उपभोक्ता फोरम, ट्रिब्यूनल्स और राजस्व न्यायालयों में आयोजित की जाएगी।
इस दौरान सिविल व आपराधिक सुलह योग्य मामलों सहित विभिन्न विवादों का समाधान किया जाएगा। साथ ही मोहल्ला लोक अदालतों के माध्यम से जन उपयोगी सेवाओं से जुड़े विवादों को भी निपटाया जाएगा।