बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने गूगल पे QR कोड के ज़रिए 1 लाख 1 हजार 500 रुपए की कथित उगाही के मामले में दर्ज FIR को रद्द करने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। यह शिकायत एक महिला ने दर्ज कराई थी, जिसने आरोप लगाया कि अज्ञात लोगों ने उसे फोन पर धमकी दी कि उसके अश्लील फोटो और वीडियो वायरल कर दिए जाएंगे। धमकाने वालों ने जान से मारने की भी धमकी दी और अंततः उससे गूगल पे के माध्यम से रकम वसूल ली।

महिला ने पुलिस को बताया कि जब उसने QR कोड स्कैन कर भुगतान किया, तो खाते में “यशपाल” नाम दिखाई दिया। हालांकि FIR में यह नाम दर्ज नहीं था, लेकिन जांच में पता चला कि लेन-देन याचिकाकर्ता की दुकान से जुड़े QR कोड के माध्यम से हुआ।

याचिकाकर्ता चित्रसाल कटियार, जो उत्तर प्रदेश के देवब्रहमपुर में स्टेशनरी की दुकान चलाते हैं, का कहना था कि यह QR कोड उनके ग्राहक यशपाल ने नियमित खरीदारी के दौरान इस्तेमाल किया था। उनके मुताबिक, खाते में आए 70 हजार रुपए सामान की खरीददारी के ही थे, और उनका धमकी या उगाही से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने दावा किया कि उन्हें महज़ शक के आधार पर फंसाया गया, क्योंकि उनके खिलाफ धमकी देने वाले फोन नंबरों से कोई सबूत नहीं मिला।

राज्य की ओर से पैनल वकील शैलेंद्र शर्मा ने दलील दी कि कथित उगाही की रकम सीधे याचिकाकर्ता के खाते में गई और उनके द्वारा पेश किया गया बिल हाथ से लिखा हुआ था, जिस पर GST नंबर नहीं था और यह अस्थायी रसीद लग रही थी। राज्य ने कहा कि ऐसे बिल की सच्चाई का पता ट्रायल के दौरान ही लगाया जा सकता है, न कि FIR रद्द करने की याचिका में।

मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बिभु दत्ता गुरु की बेंच ने कहा कि QR कोड ट्रांजेक्शन से रकम का याचिकाकर्ता के खाते में जाना साफ है और उनके “साफ-सुथरे लेन-देन” का दावा ट्रायल में ही परखा जा सकता है। अदालत ने इस स्तर पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और FIR को रद्द करने की मांग खारिज कर दी।

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