बिलासपुर। बिलासपुर में 4C श्रेणी के एयरपोर्ट की मांग को लेकर दायर जनहित याचिकाओं की सुनवाई के दौरान छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति अरविंद वर्मा की खंडपीठ ने आज राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई। हाई कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा— “अगर एयरपोर्ट नहीं बनाना है तो साफ कह दीजिए, जनता सब देख रही है, हमारा समय बर्बाद करना बंद कीजिए।”

शपथ पत्र से नाराज हुई कोर्ट

मुख्य सचिव और विमानन विभाग के डिप्टी डायरेक्टर के शपथ पत्र में एयरपोर्ट निर्माण को लेकर कोई ठोस टाइमलाइन नहीं दी गई थी। कोर्ट ने कहा कि 4C एयरपोर्ट की डीपीआर और सेना से ज़मीन वापसी पर सिर्फ बातें हैं, नतीजा कुछ नहीं।

याचिकाकर्ताओं ने रखी ठोस जानकारी

याचिकाकर्ता अधिवक्ता आशीष श्रीवास्तव और सुदीप श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया कि डीपीआर बनाने का निर्णय पहले ही हो चुका है। एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया दो साल पहले प्री-फिजिबिलिटी स्टडी कर चुकी है। 2023 में ज़मीन वापसी के लिए 93 करोड़ रुपए का बजट भी स्वीकृत हुआ था, लेकिन रक्षा मंत्रालय ने दर वृद्धि के चलते भुगतान नहीं लिया और अब 287 एकड़ के लिए 70 करोड़ मांगे हैं।

कोर्ट ने जताई गहरी आपत्ति

खंडपीठ ने कहा, “यह कोई विरोधात्मक मुकदमा नहीं है, बल्कि जनहित का मामला है। राज्य सरकार खुद कई बार एयरपोर्ट अपग्रेड की बात कह चुकी है, लेकिन वास्तविक प्रगति न के बराबर है। इससे स्पष्ट होता है कि सरकार की मंशा संदेह के घेरे में है।”

“एयरपोर्ट बंद करना है तो कर दीजिए”

राज्य सरकार की ढुलमुल जवाबदेही से नाराज कोर्ट ने तीखा सवाल किया—”क्या ये काम 10 या 20 साल में पूरा होगा? अगर एयरपोर्ट बंद करना है तो साफ कहिए और लोगों से कह दीजिए कि रायपुर जाएं।”

महाधिवक्ता ने मांगा समय

राज्य सरकार की तरफ से अतिरिक्त महाधिवक्ता शशांक ठाकुर और यशवंत सिंह ठाकुर की कोशिश असफल रही, तो अंत में महाधिवक्ता प्रफुल्ल भारत सामने आए। उन्होंने कहा, “प्रिफेजिबिलिटी रिपोर्ट दो माह में मिल जाएगी, कृपया हमें जुलाई तक का समय दें ताकि हम ठोस जवाब दे सकें।”

केंद्र सरकार ने बताई ज़मीन की स्थिति

केंद्र सरकार की ओर से डिप्टी सॉलिसिटर जनरल रमाकांत मिश्रा ने बताया कि अगर राज्य सरकार 80 करोड़ की राशि जमा कर दे, तो 287 एकड़ ज़मीन विधिवत हस्तांतरित कर दी जाएगी। याचिकाकर्ताओं ने स्पष्ट किया कि वर्किंग परमिशन पहले ही मिल चुकी है, पैसा न देने के कारण ही हैंडओवर रुका है। सुनवाई के अंत में हाई कोर्ट ने मामले की अगली तारीख जुलाई तय की।

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