बिलासपुर। हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा है कि यदि पति-पत्नी आपसी सहमति से तलाक लेना चाहते हैं तो उनके बीच गंभीर विवाद का होना जरूरी नहीं है।

भिलाई की एक महिला का विवाह 20 फरवरी 2017 को शहडोल मध्यप्रदेश में संजय सेन के साथ हुआ था। विवाह के बाद वे सिर्फ दो दिन साथ रहे। इसके बाद महिला मायके लौट गई। इसके बाद दोनों पति-पत्नी के रूप में कभी एक साथ नहीं रहे। एक साल के बाद 13 मार्च 2018 को दोनों ने आपसी सहमति के आधार पर परिवार न्यायालय में आवेदन प्रस्तुत किया। कोर्ट ने उन्हें 6 माह का कूलिंग पीरियड देते हुए तलाक पर निर्णय नहीं दिया। 6 माह बाद दोनों कोर्ट में फिर उपस्थित हुए। कोर्ट ने इस आधार पर डिक्री पारित करने से इंकार कर दिया कि दोनों के बीच कोई विवाद नहीं है।

इस आदेश के विरुद्ध दोनों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की जिसकी सुनवाई कार्यवाहक चीफ जस्टिस प्रशांत मिश्रा और जस्टिस एनके चंद्रवंशी की युगल पीठ में हुई। कोर्ट ने कहा कि अधिनियम 1955 की धारा 13 में आपसी सहमति के मामले में विवाद का आधार शामिल नहीं है। हो सकता है कि दोनों के बीच कोई झगड़ा न हुआ हो लेकिन दोनों यह महसूस कर रहे हों कि एक दूसरे के साथ सुखी नहीं रह सकते हैं। ऐसी स्थिति में वे आपसी सहमति से तलाक की मांग कर सकते हैं। कोर्ट का काम यह पता लगाना नहीं है कि उनके बीच झगड़ा होता है या नहीं।

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