शीघ्र निपटारे के लिए न्याय-मित्र देंगे सुझाव, सुप्रीम कोर्ट ने देशभर से मांगी है रिपोर्ट

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने प्रदेश के सांसदों, विधायकों के खिलाफ दायर आपराधिक प्रकरणों की स्थिति पर सभी जिलों से रिपोर्ट मंगाई है। यह सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हुई है। इसमें मदद के लिए न्याय मित्र भी नियुक्त किए गए हैं।

सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने इस वर्ष अक्टूबर में एक जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया है कि आपराधिक मामलों में दोषी ठहराये जाने के बाद राजनेताओं के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है। परंतु, देशभर में अनेक सांसद, विधायक ऐसे हैं जिनके खिलाफ दर्ज मामलों में सुनवाई 5 साल बीत जाने के बाद भी नहीं हुई है। याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की डिवीजन बेंच ने देश के सभी उच्च-न्यायालयों से यह बताने को कहा है कि ऐसे मामलों की तेजी से सुनवाई के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश पर हाईकोर्ट में एक विशेष डिवीजन बेंच का गठन किया गया है। सोमवार को बेंच ने इस पर सुनवाई की। कोर्ट ने प्रदेश के सभी जिलों में सांसदों और विधायकों के खिलाफ दर्ज आपराधिक प्रकरणों की जानकारी मांगी है। कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. निर्मल शुक्ला व अर्जित तिवारी को न्याय मित्र बनाया है। शासन की ओर से अतिरिक्त अधिवक्ता राघवेंद्र प्रधान ने पक्ष रखा है। कोर्ट ने 156 जनवरी को अगली सुनवाई तय की है।

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