बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने लीगल मेट्रोलॉजी विभाग में इंस्पेक्टर पद पर सीमित प्रतियोगी परीक्षा के माध्यम से पदोन्नति के लिए तय की गई 45 वर्ष की अधिकतम आयु सीमा को वैधानिक और उचित बताया है। कोर्ट ने इस नियम को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते हुए कहा कि नियोक्ता को किसी भी पद के लिए पात्रता और आयु सीमा तय करने का अधिकार है, और यह निर्णय न तो मनमाना है और न ही संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन करता है।

जस्टिस संजय के. अग्रवाल और जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने यह फैसला सुनाया। यह मामला रायपुर निवासी खोमिन है नायक की याचिका से जुड़ा था, जिन्होंने छत्तीसगढ़ लीगल मेट्रोलॉजी क्लास-3 (गैर-मंत्रालयी) सेवा भर्ती नियम, 2013 के तहत बनाए गए अनुसूची-IV के खंड 2 (iii) में निर्धारित अधिकतम आयु सीमा को असंवैधानिक बताया था। नियमों के अनुसार सामान्य वर्ग के लिए अधिकतम आयु 45 वर्ष तथा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए 50 वर्ष तय की गई है।

याचिकाकर्ता ने बताया कि वह सहायक ग्रेड-3 के पद पर कार्यरत हैं और वर्ष 2022 में उन्हें अधिक आयु सीमा के कारण परीक्षा में शामिल होने से वंचित कर दिया गया था। इस पर राज्य सरकार की ओर से जवाब दिया गया कि आयु सीमा तय करना नियोक्ता का विशेषाधिकार है और यह नियम पदोन्नति नहीं, बल्कि भर्ती प्रक्रिया से संबंधित है।

हाई कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि यह परीक्षा कर्मचारियों को शीघ्र पदोन्नति का अवसर देने के लिए आयोजित की जाती है। अतः सभी मंत्रालयीन कर्मचारियों पर समान रूप से लागू इस नियम को अनुचित नहीं ठहराया जा सकता।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here