हिंसा से उत्पन्न मानसिक अवसाद के पीड़ितों को चिकित्सा प्रदान करें

जले दस्तावेजों को फिर से तैयार करने विधिक क्लीनिक खोलें

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 10 जून को सतनामी समाज के आंदोलन के बाद बलौदाबाजार जिला मुख्यालय में हुई आगजनी व हिंसा की घटना को संज्ञान में लिया है। हाईकोर्ट ने राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को निर्देश दिया है कि वह पीड़ितों को क्षतिपूर्ति व राहत प्रदान करने के लिए पहल करे।
राज्य विधिक सहायता प्राधिकरण के अध्यक्ष व छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के जज गौतम भादुड़ी ने कहा है कि मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 10 जून को बलौदाबाजार के जिला कार्यालय में आग लगा दी गई, मारपीट तथा तोड़फोड़ की गई। शासकीय कार्यालयों में रखे जनसाधारण से संबंधित दस्तावेज भी जलकर राख हो गए। इसे लेकर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बलौदा बाजार को निर्देश दिया जाता है कि वह पीड़ितों को क्षतिपूर्ति व राहत प्रदान करने की कार्रवाई करे। भीड़ जनित हिंसा व आगजनी की घटना में जिनकी संपत्ति का नुकसान हुआ है और जिन्हें चोट आई है उन्हें क्षतिपूर्ति व अंतरिम क्षतिपूर्ति प्रदान करने की कार्रवाई करे। जस्टिस ने निर्देश दिया है कि उक्त आगजनी में जो कीमती दस्तावेज नष्ट हो गए, हैं उनको फिर से तैयार करने के लिए प्रभावित क्षेत्र में विधिक सहायता क्लीनिक संचालित की जाए। आगजनी की घटना में जो सैकड़ों वाहन जल कर खाक हो गये हैं, उन वाहन मालिकों, पीड़ितों के दावों के निपटारे के लिए बीमा कंपनियों के साथ समन्वय स्थापित कर शीघ्रतिशीघ्र उनके दावों का भुगतान सुनिश्चित करें।
जस्टिस भादुड़ी ने कहा है कि इन मामलों में बीमा लोकपाल की भी सहायता लें। साथ ही उक्त हिंसा के कारण मनोवैज्ञानिक सदमे व अवसाद के शिकार व्यक्तियों के लिए तत्काल मनोचिकित्सक की सहायता से काउंसिलिंग की व्यवस्था कराई जाए। निर्देश दिया गया है कि उक्त घटना में जो व्यक्ति घायल हुए हैं उनका निःशुल्क इलाज किया जाए या उनके इलाज में जो वास्तविक व्यय हुआ है उसका भुगतान विधि अनुसार किया जाए। यह भी निर्देश दिया गया है कि वह जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बलौदाबाजार सभी सरकारी व गैर सरकारी एजेंसियों के माध्यम से तत्काल विधिक सहायता उपलब्ध कराए और उनका पर्यवेक्षण करे।

कोई जवाब दें

Please enter your comment!
Please enter your name here