जगदलपुर, कांकेर, दंतेवाड़ा और कोंडागांव के न्यायिक अधिकारियों के लिए सेमिनार का किया  उद्घाटन

बिलासपुर। राज्य न्यायिक अकादमी बिलासपुर ने बस्तर संभाग के न्यायिक अधिकारियों के लिए प्रेरणा हॉल, कलेक्टरेट भवन, जगदलपुर में एक दिवसीय संभागीय न्यायिक सेमिनार का आयोजन किया। इस सेमिनार में जगदलपुर, कांकेर, दंतेवाड़ा और कोंडागांव के 43 न्यायिक अधिकारियों ने हिस्सा लिया।

छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा ने वर्चुअल माध्यम से सेमिनार का उद्घाटन किया। उनके साथ छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अमितेंद्र किशोर प्रसाद भी मौजूद रहे, जो कांकेर जिले के पोर्टफोलियो न्यायाधीश हैं। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि आज के समय में न्यायपालिका से लोगों की अपेक्षाएं बहुत बढ़ गई हैं और यह सेमिनार न केवल सीखने का मंच है, बल्कि न्याय, निष्पक्षता और विधि के शासन के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को मजबूत करता है।

उन्होंने जोर देकर कहा कि न्यायिक शिक्षा एक सतत प्रक्रिया है, खासकर तब जब कानून तेजी से बदल रहे हैं और समाज नई चुनौतियों का सामना कर रहा है। बस्तर जैसे क्षेत्र में, जहां सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक चुनौतियां हैं, न्याय को हर वर्ग तक पहुंचाना जरूरी है। उन्होंने अधिकारियों से सहानुभूति और धैर्य के साथ काम करने की अपील की, ताकि हर मामले में न्याय समय पर और पारदर्शी तरीके से मिले।

मुख्य न्यायाधीश ने बताया कि हर मामले के पीछे एक मानवीय कहानी होती है, जिसमें संघर्ष, आशा और न्यायपालिका में विश्वास जुड़ा होता है। उन्होंने कहा कि बस्तर के न्यायिक अधिकारी जनता के विश्वास को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। सेमिनार के जरिए आधुनिक विधिक मुद्दों पर चर्चा, अनुभव साझा करना और बेहतर तरीके अपनाने का मौका मिलता है, जो अधिकारियों की दक्षता बढ़ाएगा।

सेमिनार में परक्राम्य लिखत अधिनियम की धारा 138, मध्यस्थता, डिक्री लागू करना, जमानत और गिरफ्तारी जैसे विषयों पर प्रस्तुतिकरण हुए। कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के प्रभारी रजिस्ट्रार जनरल और रजिस्ट्री अधिकारी वर्चुअल रूप से जुड़े। स्वागत भाषण जगदलपुर के प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने, परिचयात्मक उद्बोधन अकादमी के निदेशक ने और धन्यवाद अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने दिया।

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