झीरम घाटी हमले की आठवीं बरसी पर अटल बिहारी बाजपेयी विश्वविद्यालय में वर्चुअल व्याख्यान
बिलासपुर। झीरम घाटी संहार की आठवीं बरसी पर प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल ने कहा कि न्याय मिलने में जब देर होती है तो अविश्वास बढ़ता है। सिस्टम के प्रति भी और सरकार के प्रति भी। यह बात वे पीड़ित परिवार की ओर से कह रहे हैं।
पटेल ने कहा कि झीरम घाटी में उन्होंने पिता और पिता जैसे बड़े भाई को खोया। उनका मेरे जीवन पर बहुत असर पड़ा है। दोनों मेरे साथ नहीं रहे, उनके जाने की पीड़ा और कसक जीवन पर बनी रहेगी।
झीरम घाटी के पीड़ित परिवारों को अब तक न्याय नहीं मिलने को लेकर मंत्री पटेल ने कहा कि यह बात सही है कि न्याय मिलने में देरी होती है तो अविश्वास पैदा होता है। इस स्थिति को बदलने के लिए अगर रिफॉर्म की जरूरत है तो वह किया जाना चाहिए। न्याय तो आवश्यक है, पर सही समय पर मिलना भी उतना ही आवश्यक है।
पटेल अटल बिहारी विश्वविद्यालय बिलासपुर आज शाम द्वारा आयोजित वर्चुअल व्याख्यान में बोल रहे थे। यह व्याख्यान स्वर्गीय नंद कुमार पटेल की स्मृति में रखा गया था और विषय रखा गया था-हिंसा मुक्त समाज की रचना में कानून एवं न्याय की भूमिका।
पटेल ने कहा कि मेरे पिता मेरे हीरो थे। वह किस तरह चलते हैं, बात करते हैं, काम करते हैं यह गौर से देखा करते थे और खुद पर उसे लागू करने की कोशिश करते थे। उनके 25 साल के संसदीय कार्यकाल और राजनीति को एक शब्द में अगर परिभाषित की जाए किया जाए तो वह है- विश्वास। उनके साथ जुड़े कुछ संस्करणों को साझा करते हुए पटेल ने कहा कि पिता कहते थे कि सक्षम लोगों के साथ दुनिया खड़ी है जो गरीब है उनके साथ मैं खड़ा हूं। पिता ने कभी भी कोई ऐसा काम नहीं किया जो उन्हें सही नहीं लगा और हमेशा सच के साथ खड़े रहने की सोच को आगे बढ़ाया।
वरिष्ठ अधिवक्ता राज्यसभा सदस्य विवेक तनखा ने कहा कि देश में न्याय प्रणाली अंग्रेजों के समय की चली आ रही है। उसी का हम अनुकरण कर रहे हैं। इसमें अत्यधिक सुधार की आवश्यकता है। देश में आज तीन करोड़ मुकदमे लम्बित हैं। वर्तमान में जो राजनेता है जन नेता नहीं हैं। वे जनता की पीड़ा को समझ नहीं सकते।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रोफेसर एडीएन बाजपेयी ने झीरम हमले के आरोपियों को अब तक दंडित नहीं किए जाने पर लेकर व्यवस्था और प्रशासन पर सवाल उठाया और कहा कि हम अपनी जिम्मेदारी ठीक तरह से नहीं निभा पाए।
वेबीनार में डॉ विमल पटेल ने स्वर्गीय नंदकुमार पटेल के व्यक्तित्व, उनकी राजनीतिक समझ, दूरदर्शिता एवं जनता से जुड़ाव के बारे में बताया। कांग्रेस नेता व घटना के साक्षी डॉ विवेक बाजपेयी ने स्व. पटेल के साथ अपनी स्मृतियों को साझा किया। उन्होंने पीड़ा व्यक्त की कि 8 साल से हमें न्याय नहीं मिल पाया, जिसमें प्रदेश के बड़े नेताओं, कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी गई।
कार्यक्रम में कांग्रेसी नेता डॉ विवेक बाजपेयी भी उपस्थित थे जो इस हमले में प्रत्यक्षदर्शी थे। उन्होंने भी झीरम हमले के संस्मरण साझा किया और न्याय नहीं मिलने को लेकर पीड़ा व्यक्त की। कार्यक्रम में शहीद नंद कुमार पटेल विश्वविद्यालय रायगढ़ के कुलपति प्रोफ़ेसर ललित प्रकाश पटैरिया ने भी विचार रखे। विश्वविद्यालय के सहायक अध्यापक सौमित्र तिवारी ने कार्यक्रम का संचालन किया। विश्वविद्यालय के कुलसचिव सुनील शर्मा व अन्य अधिकारी तथा देश के विभिन्न हिस्सों से लोगों ने इस वर्चुअल व्याख्यान को सुना।