बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने प्रदेश के सरकारी आईटीआई संस्थानों में कार्यरत प्रशिक्षण अधिकारियों को राहत देते हुए उनके विरुद्ध चल रही विभागीय कार्रवाई पर अंतरिम रोक लगा दी है। साथ ही कोर्ट ने रोजगार एवं प्रशिक्षण विभाग के संचालक से व्यक्तिगत शपथपत्र पर जवाब तलब किया है।

507 प्रशिक्षण अधिकारियों पर लगे आरोप

राज्य के विभिन्न आईटीआई संस्थानों में कार्यरत कुल 507 प्रशिक्षण अधिकारियों को विभाग ने कारण बताओ नोटिस जारी किया था। नोटिस में कहा गया था कि उनकी नियुक्ति के दौरान वर्ष 2013 के आरक्षण नियमों का पालन नहीं किया गया था। यह नियुक्तियां वर्ष 2013 में हुई थीं।

पदोन्नति को लेकर डीपीसी नहीं, अधिकारी पहुंचे कोर्ट

इन अधिकारियों की पदोन्नति “भर्ती नियम 2014 (संशोधित 2019)” के तहत वर्ष 2019 में होनी थी। पदोन्नति की प्रक्रिया पूरी न होने पर 50 से अधिक प्रशिक्षण अधिकारियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने विभाग को नियमानुसार डीपीसी आयोजित कर पदोन्नति देने के निर्देश भी दिए थे।

निर्देश की अवहेलना पर विभाग ने उठाया सख्त कदम

निर्धारित समयसीमा में डीपीसी नहीं होने पर याचिकाकर्ताओं ने अवमानना याचिका दायर की। इसके बाद विभाग ने पलटवार करते हुए कहा कि इन अधिकारियों की नियुक्ति में आरक्षण नियमों का उल्लंघन हुआ था और इसी आधार पर सेवा समाप्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी। सभी 50 प्रशिक्षण अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया।

हाईकोर्ट का आदेश: कार्रवाई पर रोक

मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने प्रथम दृष्टया विभागीय कार्रवाई को अनुचित मानते हुए तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। साथ ही विभाग के संचालक से व्यक्तिगत हलफनामे के माध्यम से पूरे मामले में जवाब मांगा है।

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